Types of Pension and Calculation

पुरानी पेंशन के प्रकार और आगणन
Types of Pension and Calculation

विभिन्न परिस्थितियों  में सेवा निवृत्त होने वाले शासकीय कर्मचारियों /अधिकारियों को निम्नांकित में से किसी एक प्रकार की पेंशन देय होती है:- 

 1- अधिवर्षता पें(Superannuation Pension) (अनुच्छेद 458, सी0एस0आर0)

प्रत्येक श्रेणी के राज्य कर्मचारियों के लिए सेवा की एक अधिवर्षता आयु निर्धारित होती है अर्थात एक निर्धारित आयु प्राप्त करने के उपरान्त ऐसे शासकीय सेवकों को सेवानिवृत्त कर दिया जाता है। वर्तमान समय में सामान्यतः शासकीय सेवकों के सन्दर्भ में अधिवर्षता आयु 60 वर्ष है। इसके अतिरिक्त न्यायिक व कुछ अन्य सेवाओं के लिए अधिवर्षता आयु उपरोक्त से भिन्न हो सकती है, जो कि शासन  द्वारा निर्धारित की जाती है। प्रत्येक सरकारी सेवक जिस माह में 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर सेवानिवृत  हो जाता है उसे अधिवर्षता आयु पर सेवानिवृत कहते हैं। Civil Service Regulations  के Rule 458 के अनुसार अगर सरकारी सेवक की जन्मतिथि माह का प्रथम दिवस है तो सरकारी सेवक पिछले माह के अन्तिम दिवस को सेवानिवृत्त होगा। और किसी और तिथि के लिए माह की अन्तिम तिथि को सेवानिवृत्त होगा। अधिवर्षता पर 10 वर्ष की नियमित एवं अर्हकारी सेवा पूर्ण करने वाले सभी सेवकों को अधिवर्षता पेंशन की सुविधा अनुमन्य है। पेंशन अंतिम वेतन का आधी धनराशि होती है।  अधिवर्षता पेंcalculation  के लिए क्लिक करें

उत्तर प्रदेश पेंशन संबंधी शासनादेश, उत्तराखंड पेंशन संबंधी शासनादेश

पेंशन का आगणन और पेंशन आगणन की विधि-

माना किसी सेवानिवृत कार्मिक का अंतिम वेतन 100000 और महंगाई भत्ता 50 प्रतिशत है। उसकी कुल सेवा अवधि 34 वर्ष है। इसी उदाहरण में हम विभिन्न पेंशन आगणन करेंगे-

पेंशन अनुमन्यता हेतु अर्हकारी सेवा- 

1- अधिकतम 33 वर्ष की सेवा अर्थात 66 छमाही ही उपादान (Graituaty) के लिए जोड़ी जाती हैं। तीन माह से अधिक की अवधि पूर्ण छमाही जोड़ी जाती है।

2- 20 वर्ष की सेवा पर पूर्ण पेंशन देय होती है।

3- 10 वर्ष से कम की अर्हकरी सेवा होने पर पेंशन अनुमन्य नहीं होती है। तथा ऐसी स्थिति में पूर्व की भांति केवल सर्विस graitiuaty अनुमन्य होगी।

4- 20 वर्ष की सेवा पर पूर्ण पेंशन अनुमान्य होगी।

5- 20 वर्ष या इससे अधिक की सेवा पर अंतिम माह के अंतिम दिवस में आहृत वेतन या 10 माह की औसत परिलब्धियाँ जो भी कर्मचारी के लिए लाभकारी हो, के 50 प्रतिशत के बराबर पेंशन अनुमन्य होगी।

6- यदि अर्हकरी सेवा 10 वर्ष से अधिक किन्तु 20 वर्ष से कम है तो पेंशन की राशि आनुपातिक रूप से काम हो जाएगी परंतु यह राशि किसी भी दशा में रू0 9000/-प्रतिमाह से काम नहीं होगी।

6- प्राय: देखने में आता है कि किसी कार्मिक की मृत्यु की दशा में उस कार्मिक को मृत्यु की तिथि तक का वेतन आहरित किया जाता है। परंतु जानकारी के अभाव में की बार विभाग द्वारा अंतिम माह को आहरित वेतन पर ही उपदान आगणित कर दिया जाता है। जो की त्रुटिपूर्ण है। जबकि पूर्ण वेतन पर उपादान  आगणित किया जाना चाहिए।

(Graituaty) उपादान के लिए नियम-
  • अधिवर्षता पर उपादान आगणन सूत्र- वेतन+महंगाई भत्ताx कुल छमाही/4

50000+25000(50%)    75000 x 64/4=  1,200,000.00 

(Commutation) राशिकरण  के लिए नियम-

2- सेवानिवृत्तिक पेंशन (Retiring Pension):

(मूल नियम – 56, स्वैच्छिक अथवा अनिवार्य सेवानिवृत्ति की स्थिति में)

वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड 2, से 4 के मूल नियम 56 के अनुसार किसी सरकारी सेवक द्वारा अधिवर्षता आयु प्राप्त करने के पूर्व यदि उसे अनिवार्यतः सेवानिवृत्त कर दिया जाता है अथवा स्वयं उसके द्वारा स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति प्राप्त की जाती है तो ऐसे सरकारी सेवकों को देय पेंशन, सेवानिवृत्त पेंशन के नाम से जानी जाती है।

नोट- पेंशन का आगणन अधिवर्षता पेंशन की भांति की जाती है। 

(अ) अनिवार्य सेवानिवृत्ति (Compulsory Retirement) : नियमतः नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा किसी ऐसे सेवक जिसने 50 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली हो, तीन माह का नोटिस अथवा उसके बदले में वेतन तथा भत्ता देकर जनहित में सेवानिवृत्त किया जा सकता है। इस प्रकार की सेवानिवृत्ति को अनिवार्य सेवानिवृत्ति कहा जाता है। मूल नियम 56 ई के अनुसार प्रत्येक सरकारी सेवक को सेवानिवृत्तिक पेंशन एवं अन्य लाभ देय होंगे। उल्लेखनीय है कि शासनादेश सं0- सा-2-514/दस दिनांक 19.07.1995 द्वारा शासन ने यह निदेश जारी किया है कि अनिवार्यतः सेवानिवृत्त किये जाने की दशा में तीन माह के नोटिस के स्थान पर तीन माह के भत्ते देकर तुरन्त सेवानिवृत्त कर देना चाहिये।

(ब)  स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ( Voluntary Retirement) : कोई सरकारी सेवक जिसने 45 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली हो या जिसकी 20 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूर्ण हो गयी हो, नियुक्ति प्राधिकारी को तीन माह की नोटिस देकर स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हो सकता है। परन्तु प्रतिबन्ध यह है कि ऐसे सरकारी सेवक द्वारा जिनके विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही विचाराधीन या आसन्न हो, दी गयी नोटिस तभी प्रभावी होती है, जब उसे नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा स्वीकार कर लिया जाये। यदि सेवानिवृत्ति तत्काल वांछित हो, स्वेच्छा से सेवानिवृत्त के मामले में तीन माह के नोटिस की शर्त नियुक्ति प्राधिकारी शिथिल कर सकता है। स्वेच्छा से सेवानिवृत्त होने के लिए सरकारी सेवक द्वारा दी गयी नोटिस नियुक्ति प्राधिकारी की अनुज्ञा के बिना वापस नहीं लिया जा सकता है। स्वेच्छा से सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी सेवक की सेवा अवधि के आगणन में 5 वर्ष या अधिवर्षता आयु प्राप्त होने पर सेवानिवृत्त होने में जितना अवधि शेष रहती हो, इन दोनों अवधियों में से जो भी कम हो, उस अवधि का अतिरिक्त लाभ अनुमन्य होता है, परन्तु यह लाभ उस सरकारी सेवक को प्रदान नहीं किया जा सकता, जिसकी सत्यनिष्ठा संदिग्ध हो। छठे वेतन आयोग की संस्तुतियां लागू होने के उपरान्त 33 वर्ष की अर्हकारी सेवा के स्थान पर 20 वर्ष की अर्हकारी सेवा पर पूर्ण पेंशन दिये जाने का प्राविधान करने के परिणामस्वरूप दिनांक 01-01-2006 से उक्त अतिरिक्त लाभ की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है।

 3-  पारिवारिक पेंशन  (Family Pension) (नयी पारिवारिक पेंशन  योजना, 1965)

किसी कार्मिक की मृत्यु उसके सेवाकाल में अथवा सेवानिवृत्ति के उपरान्त हो जाने पर  उसके द्वारा नामित व्यक्ति/परिवार के सदस्यों को मिलने वाली पेंशन पारिवारिक पेंशन के नाम से जानी जाती है। सेवारत मृत्यु हो जाने पर पारिवारिक पेंशन पाने के लिए कोई सेवा अवधि अनिवार्य नहीं है, लेकिन शर्त यह है कि सरकारी सेवक ने नियमानुसार चिकित्सा परीक्षा करवाई हो और सरकारी सेवा के लिए योग्य पाया गया हो। सेवानिवृत्ति के उपरान्त उन्हीं सरकारी सेवकों के मामले में पारिवारिक पेंशन देय है, जिन सरकारी सेवक को पेंशन अनुमन्य रही हो।

पारिवारिक पेंशन के रूप में देय राशि – मृतक कार्मिक की मृत्यु के 10 वर्ष तक पारिवारिक पेन्शनर को मूल वेतन की आधी धनराशि पेंशन के रूप में तथा उसके बाद मूल वेतन का 30% राशि पारिवारिक पेंशन के रूप में देय होती है।

 4-  असाधारण पेंशन  (Extraordinary Pension ) :

Uttar Pradesh Civil Service  (Extraordinary Pension) नियमावली, उसकी प्रथम संशोधन नियमावली 1981 व द्वितीय संशोधन नियमावली 1983 तथा शासनादेश संख्या सा-3/1340/दस-916-88 दिनांक 19-8-1988 व शासनादेश संख्या सा-3-1145/दस-916/88 दिनांक 17-08-1993 के अनुसार जब कोई कर्मचारी अपने पद के जोखिम के परिणामस्वरूप मारा जाता है या लगी चोट से मर जाता है तो उसके परिवार को असाधारण पेंशन, तात्कालिक सहायता व अनुग्रह धनराशि देय होती है। मृत्यु के प्रकरणों के अतिरिक्त उक्त शासनादेश दिनांक 19-08-1998 व शासनादेश दिनांक 17-08-1993 के अनुसार कर्तव्य पालन के दौरान जो सेवक विशेष जोखिम की परिस्थितियों में गम्भीर रूप से घायल हो जाने के कारण सेवा में बनाये रखने के योग्य न रह जाय तो ऐसे सेवकों को भी मृत्यु के प्रकरणों की भांति असाधारण पेंशन, तात्कालिक सहायता व अनुग्रह धनराशि देय होती है। असाधारण पेंशन की स्वीकृति महालेखाकार की संस्तुति पर शासन द्वारा प्रदान की जाती है।

देय राशि- मृतक कार्मिक की उस तिथि तक जिस तिथि तक उसके जीवित रहते हुए उसे अधिवर्षता पर पेंशन स्वीकृत की जाती उस तिथि तक नॉमिनी को पूर्ण पेंशन दे होगी। उसके बाद पारिवारिक पेंशन की भांति गणना की जाएगी। 

5    एक्सग्रेसिया पेंशन (ex-gratia Pension) :

एक्सग्रेसिया पेंशन उन सेवकों को देय होती है जो सेवा के दौरान अन्धे या विकलांग हो जाय और जिन्हें नियमों के अन्तर्गत कोई पेंशन देय न हो। शासनादेश संख्या सा-2-574/दस-942/75 दिनांक 19- 06-1976 के अनुसार यह योजना दिनांक 19-06-1976 से लागू है।

जिन सरकारी सेवकों की मृत्यु सरकारी कार्य के दायित्वों के निर्वहन के फलस्वरुप हो जाती है उन्हें राज्य सरकार द्वारा एक्सग्रेसिया की धनराशि का एकमुष्त भुगतान किया जाता है –

(क)- यदि कर्तव्यपालन की अवधि में दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है।

(ख)-कर्तव्यपालन के समय आतंकवादी/अराजकतत्वों की गतिविधियों में हुयी हिंसा के फलस्वरुप मृत्यु होने पर।

(ग)-देश की सीमा पर अन्तर्राष्ट्रीय युद्ध या सीमा पर छुटपुट घटनाओं अथवा लड़ाकू/ आतंकवादियों अथवा अतिवादियों आदि की गतिविधियों के फलस्वरुप मृत्यु होने पर।

(घ)-अति दुर्लभ पहाड़ी ऊँचाइयों/दुर्लभ सीमा अथवा प्राकृतिक विपदाओं अथवा अति खराब मौसम में कर्तव्यपालन करते हुए मृत्यु होने पर।

पेंशन के रूप में गणना उसी प्रकार की जाती है जिस प्रकार सरकारी कार्मिक की मृत्यु की दशा में स्वीकृत जाती। अर्थात पारिवारिक पेंशन के समान पेंशन एवं अन्य लाभ दे होंगे। 

6    अशक्तता पेंशन (Invalid Pension)  (अनुच्छेद 441-447, सी0एस0आर0)

अशक्तता पेंशन Civil Service Regulations  के Rule 441 से 457 में उल्लिखित व्यवस्था के अनुसार शारीरिक अथवा मानसिक अशक्तता के परिणामस्वरूप स्थायी रूप से अशक्त हो जाने की दशा में संबंधित सरकारी सेवक द्वारा सक्षम चिकित्सा अधिकारी से निर्धारित प्रारूप में अशक्तता चिकित्सा प्रमाणपत्र प्राप्त कर नियुक्ति प्राधिकारी को प्रस्तुत किये जाने पर अशक्तता पेंशन अनुमन्य होती है तथा उसे अशक्तता प्रमाणपत्र जारी होने के दिनांक से सेवानिवृत्त माना जायेगा। प्रमाण-पत्र में स्पष्ट रूप से प्रमाणित किया जाना चाहिए कि उसकी अशक्तता/अयोग्यता सरकारी सेवक की अनियमित अथवा असंयमित आदतों के परिणामस्वरूप नहीं हुई है। यदि किसी सेवक को अवकाश स्वीकृत किया जा चुका है तो उसकी समाप्ति की तिथि से उसे अशक्तता पेंशन पर सेवानिवृत्त किया जायेगा। इसके अतिरिक्त सहायक नियम- 100, वि0 नि0 स0, खण्ड-2 भाग 2 – 4 के अन्तर्गत अशक्त घोशित कर्मचारी को 6 माह तक का अवकाश यदि देय हो, विषेश रूप से स्वीकृत किया जा सकता है। अशक्तता की दशा में सेवानिवृत्त होने वाले सरकारी कर्मचारी को अनुमन्य पेंशन धनराशि किसी भी दशा में उस धनराशि से कम नहीं होगी जो उसके परिवार को उक्त तिथि पर उसकी मृत्यु होने की दशा  में नयी पारिवारिक पेंशन योजना के अधीन उस समय पारिवारिक पेंशन के रूप में देय होगी। शासनादेश  संख्या- सा-3-1152/दस-915/89, दिनांक 01 जुलाई, 1989 के अनुसार अस्थाई सरकारी सेवक भी अशक्तता पेंशन हेतु अर्ह हैं।

7   प्रतिकर/अनुपूरक पेंशन (Compensation Pension)  (अनुच्छेद 426, सी0एस0आर0)

Civil Service Regulations  के Rule 426 के अनुसार किसी स्थायी पद के समाप्त होने के फलस्वरूप सेवामुक्त किये गये स्थायी सरकारी सेवक को यदि समान स्तर के किसी अन्य पद पर नियुक्त न किया जाये, तो उसे यह विकल्प उपलब्ध रहता है कि उसके द्वारा की गयी अर्हकारी सेवा के लिए नियमानुसार अनुमन्य पेंशन को प्रतिकर पेंशन के रूप में स्वीकृत किया जाए अथवा किसी अन्य पद, चाहे वह निम्नतर स्तर का भी हो, पर नियुक्ति के प्रस्ताव को स्वीकार कर ले तथा पूर्व पद पर की गयी सेवा अवधि की गणना पेंशन हेतु की जाए। शासनादेश संख्या- सा-3-1713/दस-87-933/89, दिनांक 28 जुलाई, 1989 के संलग्नक-1-सी  पेंशन स्वीकर्ता अधिकारियों के लिए दिशा निर्देश  के बिन्दु 11(2) के अनुसार प्रतिकर पेंशन हेतु अस्थाई सरकारी सेवक भी अर्ह हैं।

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