GPF Rules for Uttarakhand
उत्तराखंड राज्य के कार्मिकों के लिए सामान्य भविष्य निधि नियमावली 2006 लागू है। उससे पूर्व उत्तर प्रदेश भविष्य निधि के नियम लागू थे। इस नियमावली के महत्वपूर्ण नियमों का उल्लेख यहाँ किया जा रहा है।
अभिदान की शर्तें व दरें नियम-7- अभिदाता सा0भ0नि0 के लिये नामांकन होना आवश्यक होगा। को अधिकार होगा कि अर्द्धवेतन या किसी ऐसे वेतन पर जिसमें अवैतनिक हो अथवा अर्द्धवेतन हो तो उसे विकल्प होगा कि वह अपनी कटौती कराता है या नहीं।
gpf rules for uttarakhand listed-
निलम्बन काल में कटौती नहीं होती। परन्तु जब वह बहाल होगा तत्पश्चात उसे अपनी अभिदान एकमुश्त या किश्तों में कराने का अधिकार होगा।
नामांकन- नियम 5- अभिदाता भविष्य निधि में एक से अधिक पारिवारिक सदस्यों को नामांकित कर सकता है। परिवार न होने की दशा में वह किसी अन्य को भी नामांकित कर सकता है। नामांकन दोबारा परिवर्तित किया जा सकता है।
वर्ष निकासी व जमा की सीमा व परिवर्तन- अभिदाता की अधिवर्षता से 6 माह पूर्व से उसकी कटौती बन्द हो जाती है।
अभिदान की धनराशि नियम 8-अभिदान की धनराशि 10 प्रतिशत से कम तथा उसके मूल वेतन से अधिक नहीं होगी।
नामांकन- नियम 5- अभिदाता भविष्य निधि में एक से अधिक पारिवारिक सदस्यों को नामांकित कर सकता है। परिवार न होने की दशा में वह किसी अन्य को भी नामांकित कर सकता है। नामांकन दोबारा परिवर्तित किया जा सकता है।
वर्ष निकासी व जमा की सीमा व परिवर्तन- अभिदाता की अधिवर्षता से 6 माह पूर्व से उसकी कटौती बन्द हो जाती है।
अभिदान की धनराशि नियम 8-अभिदान की धनराशि 10 प्रतिशत से कम तथा उसके मूल वेतन से अधिक नहीं होगी।
अधिदान की धनराशि को वर्ष में एक बार किसी एक समय कम किया जा सकता है। लेकिन न्यूनतम कटौती से कम नहीं होगा। तथा वर्ष में अधिकतम दो बार बढ़ाया जा सकता है।
बाह्य सेवा या भारत के बाहर प्रतिनियुक्ति पर स्थानान्तरण की दशा में वह निधि के नियमों के अधीन उसी तरह रहेगा मानो कि उसका जैसे स्थानान्तरण नहीं हुआ हो, या प्रतिनियुक्ति पर नहीं भेजा गया हो।
अभिदान की वसूली नियम-10- जब मूल वेतन का आहरण भारत मंे किसी सरकारी कोषागार से या भारत के बाहर संवितरण के किसी प्राधिकृत कार्यालय से किया जाये तब अभिदान और अग्रिमों की वसूली स्वंय के मूल वेतन से की जायेगी।
जब कोई अभिदाता उत्तंराखण्ड राज्य के किसी उपक्रम में बाह्य सेवा पर हो तो उपर्युक्त देयों की वसूली प्रतिमाह ऐसे उपक्रम द्वारा की जायेगी और उसे कोषागार चालान के माध्यम से भारतीय स्टेट बैंक में जमा किया जायेगा।
बाह्य सेवा या भारत के बाहर प्रतिनियुक्ति पर स्थानान्तरण की दशा में वह निधि के नियमों के अधीन उसी तरह रहेगा मानो कि उसका जैसे स्थानान्तरण नहीं हुआ हो, या प्रतिनियुक्ति पर नहीं भेजा गया हो।
अभिदान की वसूली नियम-10- जब मूल वेतन का आहरण भारत मंे किसी सरकारी कोषागार से या भारत के बाहर संवितरण के किसी प्राधिकृत कार्यालय से किया जाये तब अभिदान और अग्रिमों की वसूली स्वंय के मूल वेतन से की जायेगी।
जब कोई अभिदाता उत्तंराखण्ड राज्य के किसी उपक्रम में बाह्य सेवा पर हो तो उपर्युक्त देयों की वसूली प्रतिमाह ऐसे उपक्रम द्वारा की जायेगी और उसे कोषागार चालान के माध्यम से भारतीय स्टेट बैंक में जमा किया जायेगा।
इसी स्थिति में उत्तराखण्ड से बाहर स्थित किसी उपक्रम में अभिदाता के प्रतिनियुक्ति पर होने की दशा में उक्त देयों की वसूली प्रतिमास उस उपक्रम द्वारा की जायेगी और भारतीय स्टेट बैंक के बैंक क्तंजि के माध्यम से महालेखाकार को भेज दी जायेगी।
ब्याज- नियम-11- ब्याज आगणित करने के लिये पिछले वर्ष के अन्तिम शेष के साथ प्रतिमाह का अभिदान जोड़ा जायेगा। तत्पश्चात प्रारम्भिक शेष से अध्यतन योग जोड़ा जायेगा।
माना माह वित्तीय वर्ष 2022-23 का प्रारम्भिक शेष रू0 1000000 है। और माह अप्रैल से अभिदान रू0 20000 प्रतिमाह है। तो ऐसी स्थिति में माह अप्रैल में 1020000 माह मई में 1040000 होगा। और ऐसे आगे बढ़ाते हुए प्रत्येक माह का अभिदान जोड़ा जायेगा। तथा ब्याज आगणन करने के लिये समेकित राशियों का योग किया जायेगा।
ब्याज- नियम-11- ब्याज आगणित करने के लिये पिछले वर्ष के अन्तिम शेष के साथ प्रतिमाह का अभिदान जोड़ा जायेगा। तत्पश्चात प्रारम्भिक शेष से अध्यतन योग जोड़ा जायेगा।
माना माह वित्तीय वर्ष 2022-23 का प्रारम्भिक शेष रू0 1000000 है। और माह अप्रैल से अभिदान रू0 20000 प्रतिमाह है। तो ऐसी स्थिति में माह अप्रैल में 1020000 माह मई में 1040000 होगा। और ऐसे आगे बढ़ाते हुए प्रत्येक माह का अभिदान जोड़ा जायेगा। तथा ब्याज आगणन करने के लिये समेकित राशियों का योग किया जायेगा।
सूत्र ब्याज- समेकित राशि x ब्याज की दर
1200
1200
उत्तराखंड जीपीएफ नियमावली 2006 संशोधित उत्तराखंड जीपीएफ नियमावली 2017
निधि से अस्थायी अग्रिम- नियम 13- निधि से अस्थायी अग्रिम की व्यवस्था के सिद्धांत नियम-13 में दिये गये हैं। कोई अग्रिम तब तक स्वीकृत नहीं किया जायेगा तब तक स्वीकृति प्राधिकारी का समाधान न हो जाय कि आवेदक की आर्थिक परिस्थितियों उसको न्यायोचित ठहराती हैं और कि उसका व्यय नियमों में दर्शाये गये प्रयोजन के लिये ही किया जाये। इनमें बच्चों की उच्च शिक्षा, चिकित्सा के उद्येश्य से, भवन निर्माण, शैक्षिक कार्य, आश्रितों का विवाह आदि के लिये देय है। (फार्म)
अग्रिमों की वसूली नियम 14- निधि से लिये गये अग्रिमों की वसूली की शर्तें, नियमावली के नियम-14 में दिये गये हैं।
अग्रिम का दोषपूर्ण उपयोग नियम 15- जब कि प्राधिकारी को यह विश्वास हो कि कार्मिक द्वारा प्रत्याहरित अग्रिम का वह उपयोग नहीं किया जिस प्रयोजन के लिये अग्रिम लिया गया था तो वह 3 माह के भीतर उसे ब्याज सहित अग्रिम निधि को वापस करने का कह सकता है। इसके लिये कार्यालय आदेश में स्पष्ट निर्देश जाने चाहिए कि कार्मिक को यह प्रमाण पत्र उपलब्ध कराना होगा कि जिस प्रयोजन के लिये अग्रिम आहरण हुआ है, वह उसी प्रयोजन के लिये खर्च होगा।
निधि से अन्तिम निष्कासन नियम-16- निधि से अन्तिम प्रत्याहरण के लिये नियम व शर्तें नियम-16 में दिये गये हैं। (फार्म)
नियम-17- प्रत्याहरण की शर्तें।
नियम-18- अग्रिम का प्रत्याहरण में परिवर्तन
नियम-19- बीमा पोलिसियों का पुनः समनुदेशन
नियम-20- निधि में संचित धनराशियों का अन्तिम भुगतान
निधि से अस्थायी अग्रिम- नियम 13- निधि से अस्थायी अग्रिम की व्यवस्था के सिद्धांत नियम-13 में दिये गये हैं। कोई अग्रिम तब तक स्वीकृत नहीं किया जायेगा तब तक स्वीकृति प्राधिकारी का समाधान न हो जाय कि आवेदक की आर्थिक परिस्थितियों उसको न्यायोचित ठहराती हैं और कि उसका व्यय नियमों में दर्शाये गये प्रयोजन के लिये ही किया जाये। इनमें बच्चों की उच्च शिक्षा, चिकित्सा के उद्येश्य से, भवन निर्माण, शैक्षिक कार्य, आश्रितों का विवाह आदि के लिये देय है। (फार्म)
अग्रिमों की वसूली नियम 14- निधि से लिये गये अग्रिमों की वसूली की शर्तें, नियमावली के नियम-14 में दिये गये हैं।
अग्रिम का दोषपूर्ण उपयोग नियम 15- जब कि प्राधिकारी को यह विश्वास हो कि कार्मिक द्वारा प्रत्याहरित अग्रिम का वह उपयोग नहीं किया जिस प्रयोजन के लिये अग्रिम लिया गया था तो वह 3 माह के भीतर उसे ब्याज सहित अग्रिम निधि को वापस करने का कह सकता है। इसके लिये कार्यालय आदेश में स्पष्ट निर्देश जाने चाहिए कि कार्मिक को यह प्रमाण पत्र उपलब्ध कराना होगा कि जिस प्रयोजन के लिये अग्रिम आहरण हुआ है, वह उसी प्रयोजन के लिये खर्च होगा।
निधि से अन्तिम निष्कासन नियम-16- निधि से अन्तिम प्रत्याहरण के लिये नियम व शर्तें नियम-16 में दिये गये हैं। (फार्म)
नियम-17- प्रत्याहरण की शर्तें।
नियम-18- अग्रिम का प्रत्याहरण में परिवर्तन
नियम-19- बीमा पोलिसियों का पुनः समनुदेशन
नियम-20- निधि में संचित धनराशियों का अन्तिम भुगतान
नियम-21- अभिदाता की सेवानिवृत्ति पर भुगतान। (फार्म-425 क)
नियम-22– अभिदाता की मृत्यु पर भुगतान।
नियम-23- जमा से सम्बद्ध बीमा।
नियम-24- निधि में धनराशि के भुगतान की रीति।
नियम-25- निधि में संचित धनराशियों का अंतरण।
नियम-26- किसी व्यक्ति के किसी उपक्रम की सेवा से सरकारी सेवा में स्थानान्तरण पर प्रक्रिया।
नियम-27- लेखे का वार्षिक विवरण अभिदाता को दिया जायेगा।
नियम-28- सामान्य भविष्य निधि पासबुक।
नियम-22– अभिदाता की मृत्यु पर भुगतान।
नियम-23- जमा से सम्बद्ध बीमा।
नियम-24- निधि में धनराशि के भुगतान की रीति।
नियम-25- निधि में संचित धनराशियों का अंतरण।
नियम-26- किसी व्यक्ति के किसी उपक्रम की सेवा से सरकारी सेवा में स्थानान्तरण पर प्रक्रिया।
नियम-27- लेखे का वार्षिक विवरण अभिदाता को दिया जायेगा।
नियम-28- सामान्य भविष्य निधि पासबुक।