Leave Rules अवकाश नियम व शर्तें
अवकाश नियमों को सरलता प्रदान करने के लिये, अवकाशों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। पहली श्रेणी में वे अवकाश रखे जा सकते हैं जो मूलतः वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-दो (भाग 2 से 4) में वर्णित मूल एवं सहायक नियमों से संचालित होते हैं, तथा द्वितीय श्रेणी में वे अवकाश जो भिन्न प्रकार के हैं, यथा आकस्मिक अवकाश।
- वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-दो (भाग 2 से 4) के नियमों में उल्लिखित (विभिन्न अवकाश:-
1 | अर्जित अवकाश | Earned Leave – (EL) |
2 | चिकित्सा अवकाश | Leave on Medical Certificate (ML) |
3 | मातृत्व अवकाश | Maternity Leave (Mt. L) |
4 | अध्ययन अवकाश | Study Leave (SL) |
5 | असाधारण अवकाश | Extra Ordinary Leave (OL) |
6 | हास्पिटल अवकाश | Hospital Leave (HL) |
7 | निजी कार्य पर अवकाश | Leave on private affairs |
8 | विशेष विकलांगता अवकाश | Special Disability Leave |
9 | लघुकृत अवकाश | Commuted Leave |
1- अर्जित अवकाश (Earned Leave)
अर्जित अवकाश स्थायी तथा अस्थायी दोनों प्रकार के सरकारी सेवकों द्वारा समान रुप से अर्जित किया जाता है, तथा समान शर्तो के अधीन उन्हें स्वीकृत किया जाता है। मूल नियम 81-ख (1) सहायक नियम 157-क (1)
अवकाश अवधि व अर्जित अवकाश की प्रक्रिया- Leave Rules-अवकाश नियम
- सरकारी सेवक के अर्जित अवकाश लेखों में पहली जनवरी को 16 दिन तथा पहली जुलाई को 15 दिन जमा किया जायेगा।
- अवकाश का हिसाब लगाते समय दिन के किसी अंश को निकटतम दिन पर पूर्णाकित किया जाता है, ताकि अवकाश का हिसाब पूरे दिन के आधार पर रहे।
- किसी एक समय जमा अवकाश का अवशेष शासनादेश संख्याः सा-4-392/ दस-94-203-86, दिनांकः 1, जुलाई 1999 के अनुसार सरकारी सेवकों के अवकाश खाते में अर्जित अवकाश जमा करने की अधिकतम सीमा 300 दिन कर दी गयी है।
- नियुक्ति होने पर प्रथम छःमाही में सेवा के प्रत्येक पूर्ण कैलेण्डर मास के लिए 2-1/2 (ढाई) दिन प्रतिमास की दर से अवकाश पूर्ण दिन के आधार पर जमा किया जाता है। इसी प्रकार मृत्यु सहित किसी भी कारण से सेवा से मुक्त होने वाली छःमाही में सेवा में रहने के दिनांक तक की गई सेवा के प्रत्येक पूर्ण कैलेण्डर मास के लिए 2-1/2 (ढाई दिन) दिन प्रतिमास की दर से पूरे दिन के आधार पर अवकाश देय होता है।
- जब किसी छःमाही में असाधारण अवकाश का उपभोग किया जाता है तो संबंधित सरकारी सेवक के अवकाश लेखे में अगली छःमाही के लिए जमा किये जाने वाला अर्जित अवकाश असाधारण अवकाश की अवधि के 1/10 की दर से 15 दिन की अधिकतम सीमा के अधीन रहते हुए (पूरे दिन के आधार पर) कम कर दिया जाता है। शासकीय ज्ञाप संख्या-सा-4-1071 एवं 1072/दस-1992-201/76 दिनांक 21दिसम्बर 1992 मूल नियम 81 ख (1) एवं सहायक नियम 157-क (1)
अवकाश लेखा- अर्जित अवकाश के संबंध में सरकारी सेवकों के अवकाश लेखे प्रपत्र-11 घ में रखे जायेंगें। मूल नियम-81 ख (1) (8)
अर्जित अवकाश की एक बार में स्वीकृत करने की अधिकतम सीमा
यदि सम्पूर्ण अवकाश भारत में व्यतीत किया जा रहा हो – 120 दिन
यदि सम्पूर्ण अवकाश भारत के बाहर व्यतीत किया जा रहा हो -180 दिन (मूल नियम- 81 ख(दस) सहायक नियम 157(क)(1) (ग्यारह)
अवकाश वेतन- अवकाश काल में सरकारी सेवक को अवकाश पर प्रस्थान के ठीक पहले प्राप्त होने वाले वेतन के बराबर अवकाश वेतन ग्राह्य होता है।
मूल नियम- 87-क (1) तथा सहायक नियम 157-क(6)(क) शासनादेश संख्या-सा-4- 1395 / दस -88-200-76 दिनांक 13-10-1988 द्वारा प्रतिस्थापित तथा दिनांक 1-4-1978 से प्रभावी.
****************************************************************************************
2- चिकित्सा प्रमाण-पत्र पर अवकाश
(Leave on Medical Certificate):-
स्थायी सेवक के संबंध मे नियम
- सम्पूर्ण सेवाकाल में 12 माह तक का चिकित्सा प्रमाणपत्र पर अवकाश नियमों द्वारा निर्दिष्ट चिकित्सकों द्वारा प्रदान किये गये चिकित्सा प्रमाण पत्र पर स्वीकार किया जा सकता है।
- उपरोक्त 12 माह का अवकाश समाप्त होने के उपरान्त आपवादिक मामलों में चिकित्सा परिषद की संस्तुति पर सम्पूर्ण सेवाकाल में कुल मिलाकर 6 माह का चिकित्सा प्रमाण पत्र पर अवकाश और स्वीकार किया जा सकता है। मूल नियम 81-ख (2)
अस्थायी सेवक के संबंध मे नियम
- ऐसे अस्थायी सेवकों को जो तीन वर्ष अथवा उससे अधिक समय से निरन्तर कार्यरत रहे हों तथा नियमित नियुक्ति और अच्छे आचरण आदि शर्तो को पूरा करते हों स्थायी सरकारी सेवकों के ही समान 12 महीने तक चिकित्सा प्रमाण पत्र पर अवकाश की सुविधा है, परन्तु 12 माह के उपरान्त स्थायी सेवकों को प्रदान किया जा सकने वाला 6 माह का अतिरिक्त अवकाश इन्हें अनुमन्य नहीं है।
- शेष सभी अस्थायी सेवकों को चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर सम्पूर्ण अस्थायी सेवाकाल में चार माह तक अवकाश प्रदान किया जा सकता है।
- प्राधिकृत चिकित्सा प्राधिकारी की संस्तुति पर सक्षम अधिकारी द्वारा साठ दिन तक की छुट्टी स्वीकृत की जा सकती है। इस अवधि से अधिक छुट्टी तब तक स्वीकृत नहीं की जा सकती, जब तक सक्षम अधिकारी को यह समाधान न हो जाये कि आवेदित छुट्टी की समाप्ति पर सरकारी कर्मचारी के कार्य पर वापस आने योग्य हो जाने की समुचित सम्भावना है। यदि सरकारी कर्मचारी की बीमारी के उपचार के मध्य मृत्यु हो जाती है तो उसे सक्षम अधिकारी चिकित्सा अवकाश स्वीकृत करेगा यदि चिकित्सा अवकाश अन्यथा देय है। मूल नियम-81-ख(2)(2), सहायक नियम-87
चिकित्सा अवकाश में वेतन
1- स्थायी सेवकों तथा तीन वर्षो से निरन्तर कार्यरत अस्थायी सेवकों को 12 माह तक की अवधि तथा शेष अस्थायी सेवकों को चार माह तक की अवकाश अवधि के लिये वह अवकाश वेतन अनुमन्य होगा, जो उसे अर्जित अवकाश का उपभोग करने की दशा में अवकाश वेतन के रुप में देय होता।
2- स्थायी सेवकों को 12 माह का अवकाश समाप्त होने के उपरान्त देय अवकाश के लिये अवकाश की दशा में अनुमन्य अवकाश वेतन की आधी धनराशि अवकाश वेतन के रुप में अनुमन्य होती है। मूल नियम 87-क (2) शासकीय ज्ञाप संख्या-सा-4-1071/दस-1992-2001/76 दिनांक 21 दिसम्बर 1992।
**********************************************************************************
Leave Rules-अवकाश नियम
3- मातृत्व (प्रसूति) अवकाश (Maternity Leave)
प्रसूति अवकाश स्थायी अथवा अस्थायी महिला सरकारी सेवकों को निम्न दो अवसरों पर प्रत्येक के सम्मुख अंकित अवधि के लिए निर्धारित शर्तो के अधीन प्रदान किया जाता है।
1- प्रसूति के मामलों मे
प्रसूतावस्था पर अवकाश प्रारम्भ होने के दिनांक से 180 दिन (6 माह) तक। दो बच्चों में न्यूनतम 2 वर्ष का अंतर आवश्यक है; तभी दोबारा प्रसूति अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। यदि किसी महिला सरकारी सेवक के दो या अधिक जीवित बच्चें हो तो उसे प्रसूति अवकाश स्वीकृत नहीं किया जा सकता, भले ही उसे अवकाश अन्यथा देय हो। किसी बच्चे के असाध्य रोग से पीड़ित होने या आनुवंशिक रूप से पीड़ित होने की दशा में चिकित्सकीय प्रमाण पत्र के आधार पर सम्पूर्ण सेवा में 3 बार स्वीकृत किया जा सकता है।
2- गर्भपात के मामले में
- गर्भपात के मामलों में, जिसके अन्तर्गत गर्भश्राव भी है, प्रत्येक अवसर पर 6 सप्ताह तक। अवकाश के प्रार्थना पत्र के समर्थन में प्राधिकृत चिकित्सक का प्रमाण पत्र संलग्न किया गया हो। मूल नियम 101 एवं सहायक नियम 153 शासनादेश सं0ः जी-4-394-दस-216-79, दिनांक 4 जून 1990।
- प्रसूति अवकाश को किसी प्रकार के अवकाश लेखे में नहीं घटाया जाता है तथा अन्य प्रकार की छुट्टी के साथ मिलाया जा सकता है। सहायक नियम 156
- प्रसूति अवकाश की अवधि में अवकाश वेतन पूर्ण वेतन पर अनुमन्य होता है। सहायक नियम 153
महिला सरकारी सेवकों को बाल्य देखभाल अवकाष (Child Care Leave) की अनुमन्यता:-
- महिला सरकारी सेवक को सम्पूर्ण सेवाकाल में अधिकतम 730 (2 वर्ष) दिनों का बाल्य देखभाल अवकाश प्रसूति अवकाश की शर्तों एवं प्रतिबन्धों के अधीन अनुमन्य होगा।
- विशिष्ट परिस्थितियों यथा बीमारी तथा परीक्षा आदि में देखभाल हेतु संतान की 18 वर्ष की आयु होने की अवधि तक देय है।
- गोद ली गयी संतान के सम्बन्ध में भी यह अवकाश देय होगा।
- सम्बन्धित महिला कर्मचारी के अवकाश लेखे में उपार्जित अवकाश देय होते हुए भी बाल्य देखभाल अवकाश अनुमन्य होगा।
- बाल्य देखभाल अवकाश को एक कलैण्डर वर्ष के दौरान तीन बार से अधिक नहीं दिया जायेगा।
- बाल्य देखभाल अवकाश को 15 दिनों से कम के लिये नहीं दिया जायेगा।
- बाल्य देखभाल अवकाश को साधारणतया परिवीक्षा अवधि के दौरान नहीं दिया जायेगा, ऐसे मामलों को छोड़कर जहाँ अवकाश देने वाला प्राधिकारी परिवीक्षार्थी की बाल्य देखभाल अवकाश की आवश्यकता के बारे में पूर्ण रुप से संतुष्ट न हो। इसे भी सुनिश्चित किया जायेगा कि परिवीक्षा अवधि के दौरान अवकाश दिया जा रहा है तो इस अवकाश की अवधि कम-से-कम हो।
- बाल्य देखभाल अवकाश को अर्जित अवकाश के समान माना जायेगा और उसी प्रकार से स्वीकृत किया जायेगा।
- यदि किसी महिला कर्मचारी द्वारा दिनांक 08-12-2008 के कार्यालय-ज्ञाप (उत्तराखंड राज्य के संबंध में) के जारी होने के पश्चात्, बाल्य देखभाल के प्रयोजन हेतु अर्जित अवकाश लिया गया है तो उसके अनुरोध पर उक्त अर्जित अवकाश को बाल्य देखभाल अवकाश में समायोजित किया जा सकेगा।
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड राज्य के लिए शासनादेश- (कार्यालय ज्ञाप संख्या-जी-2-2017/दस-2008-216-79, दिनांक 08-12-2008, कार्यालय ज्ञाप संख्या- जी-2-573/दस-2009-216-79, दिनांक 24-3-2009 तथा शासनादेश संख्या- जी-2-176/दस-2011- 216-79 दिनांक 11 अप्रैल, 2011)
************************************************************************************
Leave Rules-अवकाश नियम
4- अध्ययन अवकाश (Study Leave)
- स्थायी सरकारी सेवकों को जनहित में किन्हीं वैज्ञानिक, प्राविधिक अथवा इसी प्रकार की समस्याओं के अध्ययन या विशेष पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए निर्धारित शर्तो के अधीन अध्ययन अवकाश दिया जा सकता है।
- यह अवकाश भारत में अथवा भारत के बाहर अध्ययन करने के लिए स्वीकृत किया जा सकता है। जिन सरकारी सेवकों ने पाँच वर्ष से कम सेवा की हो अथवा जिन्हें सेवानिवृत्ति होने का विकल्प तीन या उससे कम समय में अनुमन्य हो, उनको अध्ययन अवकाश साधारणतया प्रदान नहीं किया जाता है।
- असाधारण अवकाश या चिकित्सा प्रमाणपत्र पर अवकाश को छोड़कर अन्य प्रकार के अवकाश को अध्ययन अवकाश के साथ मिलाये जाने की दशा में सकल अवकाश अवधि के परिणामस्वरुप संबंधित सरकारी सेवक की अपनी नियमित ड्यूटी से अनुपस्थिति 28 महीने से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- एक बार में बारह माह के अवकाश को साधारणतया उचित अधिकतम सीमा माना जाना चाहिए तथा केवल साधारण कारणों को छोड़कर इससे अधिक अवकाश किसी एक समय में नहीं दिया जाना चाहिए।
- सम्पूर्ण सेवा अवधि में कुल मिलाकर 2 वर्ष तक का अध्ययन अवकाश प्रदान किया जा सकता है।
अध्ययन अवकाश में अवकाश वेतन- अध्ययन अवकाश काल में अर्धवेतन अनुमन्य होता है. (मूल नियम 84 एवं सहायक नियम 146क)
**************************************************************************************
Leave Rules-अवकाश नियम
5- असाधारण अवकाश (Extra Ordinary Leave)
- असाधारण अवकाश निम्न विषेष परिस्थितियों में स्वीकृत किया जा सकता है – जब अवकाश नियमों के अधीन कोई अन्य अवकाश देय न हो। अन्य अवकाश देय होने पर भी संबंधित सरकारी सेवक असाधारण अवकाश प्रदान करने के लिए आवेदन करे। यह अवकाश लेखे से नहीं घटाया जाता है। मूल नियम 85
- स्थायी सरकारी सेवक को असाधारण अवकाश किसी एक समय में मूल नियम 18 के उपबन्धों के अधीन अधिकतम 5 वर्ष तक की अवधि के लिए स्वीकृत किया जा सकता है। किसी भी अन्य प्रकार के अवकाश के क्रम में स्वीकृत किया जा सकता है। मूल नियम 81-ख (6)
- अस्थायी सरकारी सेवक को देय असाधारण अवकाश की अवधि किसी एक समय में निम्नलिखित सीमाओं से अधिक न होगी- सहायक नियम 157क (4)
- 3 मास।
- या 6 मास यदि संबंधित सरकारी सेवक ने तीन वर्ष की निरन्तर सेवा अवकाश अवधि सहित पूरी कर ली हो तथा अवकाश के समर्थन में नियमों के अधीन अपेक्षित चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया हो।
- या 18 मास- यदि संबंधित सरकारी सेवक ने एक वर्ष की निरन्तर सेवा पूरी कर ली हो, और वह गंभीर रोग का उपचार करा रहा हो।
- या अधिकतम 24 मास- सम्पूर्ण अस्थायी सेवा की अवधि में 24 मास की अधिकतम सीमा के अधीन रहते हुए जनहित में भारत अथवा विदेश में अध्ययन करने के लिए इस प्रतिबन्ध के अधीन देय है कि संबंधित सेवक ने तीन वर्ष की निरन्तर सेवा पूरी कर ली है।
- असाधारण अवकाश की अवधि के लिए कोई अवकाश वेतन देय नहीं है।
मूल नियम 85, 87(क) (4) एवं सहायक नियम 157क(6) (ग)।
*******************************************************************************************
Leave Rules-अवकाश नियम 6- चिकित्सालय अवकाश
(Hospital Leave)
चिकित्सक के प्रमाण पत्र पर अवकाश के अलावा मूल नियमों में चिकित्सालय अवकाश की व्यवस्था भी है; जिस विषय में सामान्यत कार्मिकों को जानकारी कम होती है। जो निम्नलिखित परिस्थितियों में दिया जा सकता है:-
- अधीनस्थ सेवाओं के कर्मचारियों को, जिनकी डयूटी में दुर्घटना या बीमारी का विशेष खतरा हो, अस्वस्थता के कारण अवकाश प्रदान किया जा सकता है। मूल नियम 101
- चिकित्सालय अवकाश नियुक्ति प्राधिकारी के द्वारा प्रदान किया जा सकता है।
- समस्त स्थायी अथवा अस्थायी सरकारी सेवकों, जिन्हें अपने कर्तव्यों के कारण खतरनाक मशीनरी, विस्फोटक पदार्थ, जहरीली गैसों अथवा ओैषधियों आदि से काम करना पड़ता है अथवा जिन्हें अपने कर्तव्यों, जिनका उल्लेख सहायक नियम 155 के उप नियम (5) में है के कारण दुर्घटना अथवा बीमारी का विशेष जोखिम उठाना पड़ता है, को शासकीय कर्तव्यों के परिपालन के दौरान दुर्घटना या बीमारी से ग्रसित होने पर चिकित्सालय/औषधालय में भर्ती होने पर अथवा वाह्य रोगी के चिकित्सा कराने हेतु प्रदान किया जाता है।
- यह अवकाश चाहे एक बार में लिया जाये अथवा किश्तों में किसी भी दशा में तीन वर्ष की कालावधि में छः माह से अधिक स्वीकृत नहीं की जायेगी। सहायक नियम 155A
- चिकित्सालय अवकाश को अवकाश लेखे से नहीं घटाया जाता है तथा इसे अन्य देय अवकाश से संयोजित किया जा सकता है, परन्तु शर्त यह है कि कुल मिलाकर अवकाश अवधि 28 माह से अधिक नहीं होगी। सहायक नियम 156
- अवकाश वेतन- चिकित्सालय अवकाश अवधि के पहले तीन माह तक के लिए पूर्ण वेतन पर अवकाश वेतन प्राप्त होता है। तीन माह से अधिक की शेष अवधि के लिये गये अवकाश वेतन अर्द्ध वेतन के हिसाब से दिया जाता है।सहायक नियम 155 (3)
7- निजी कार्य पर अवकाश (Leave on private affairs)
निजी कार्य पर अवकाश अर्जित अवकाश की ही भांति तथा उसके लिये निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार प्रत्येक कैलेण्डर वर्ष के लिए 31 दिन 2 छःमाही किश्तों में जमा किया जाता है। इसमें सम्पूर्ण प्रक्रिया वही है जो अर्जित अवकाश के विषय में है। इसका लेखा भी अर्जित अवकाश की भांति रखा जाता है। सामान्यत कार्मिक इसका उपभोग नहीं करते हैं क्योंकि यह अर्धवेतन पर स्वीकृत किया जाता है।
अधिकतम अवकाश अवधि तथा देय अवकाश
स्थायी सरकारी सेवक के संबंध में-
1- यह अवकाश 365 दिन तक की अधिकतम सीमा के अधीन जमा किया जाता है
2- सम्पूर्ण सेवाकाल में कुल मिलाकर 365 दिन तक का ही अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
3- किसी एक समय में स्वीकृत की जा सकने योग्य अधिकतम सीमा निम्नानुसार –
पूरा अवकाश भारत में व्यतीत किये जाने पर – 90 दिन
पूरा अवकाश भारत से बाहर व्यतीत किये जाने पर – 180 दिन
मूल नियम 81-ख (3) शासकीय ज्ञाप संख्या-सा-4-1071/ दस-1992 -2001 /76 दिनांक 21 दिसम्बर 1992
अस्थायी सरकारी सेवक के संबंध में-
- सम्पूर्ण अस्थायी सेवाकाल में कुल मिलाकर 120 दिन तक का अवकाश प्रदान किया जा सकता है। अस्थायी सेवकों को निजी कार्य पर अवकाश तब तक स्वीकार नहीं होता जब तक कि उनके द्वारा दो वर्ष की निरन्तर सेवा पूरी न कर ली गयी हो।
- अस्थायी सरकारी सेवकों के अवकाष खातों में निजी कार्य पर अवकाश किसी अवसर पर 60 दिन से अधिक जमा नहीं होगा ।
- किसी सरकारी सेवक को एक बार में निजी कार्य पर अवकाश स्वीकृत किये जाने की अधिकतम अवधि साठ दिन होगी ।
- अवकाष स्वीकृति आदेश में अतिशेष अवकाश इंगित किया जायेगा।
सहायक नियम 157-क (3) शासकीय ज्ञाप संख्या-सा-4-1072 /दस- 1992-2001 /76 दिनांक 21 दिसम्बर 1992 (उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड राज्य हेतु)
अवकाश लेखा- निजी कार्य पर अवकाश के संबंध में सरकारी सेवकों के अवकाश लेखे प्रपत्र 11-ड; में रखे जायेंगे। सहायक नियम- 157-क(3)(दस)
अवकाश वेतन- निजी कार्य पर अवकाश काल में वह अवकाश वेतन मिलता है जो अर्जित अवकाश के लिए अनमन्य होने वाले अवकाश वेतन की धनराशि के आधे के बराबर हो। मूल नियम 87-क (2) तथा सहायक नियम 157-क(6) (ख)
******************************************************************************************
8- विशेष विकलांगता अवकाश (Special Disability Leave)
- राज्यपाल किसी ऐसे स्थायी अथवा अस्थायी सरकारी सेवक को जो किसी के द्वारा जानबूझ कर चोट पहुँचाने के फलस्वरुप अथवा अपने सरकारी कर्तव्यों के उचित पालन में या उसके फलस्वरुप चोट लग जाने अथवा अपनी अधिकारीय स्थिति के परिणाम स्वरुप चोट लग जाने के कारण अस्थायी रुप में विकलांग हो गया हो, को विशेष विकलांगता अवकाश प्रदान कर सकते हैं।
- अवकाश तभी स्वीकृत किया जा सकता है जबकि विकलांगता, उक्त घटना के दिनांक से तीन माह के अन्दर प्रकट हो गई हो तथा संबंधित सेवक ने उसकी सूचना तत्परता से यथा सम्भव शीघ्र दे दी हो। राज्यपाल विकलांगता के बारे में संतुष्ट होने की दशा में घटना के तीन माह के पश्चात प्रकट हुई विकलांगता के लिए भी अवकाश प्रदान कर सकते है।
- किसी एक घटना के लिए एक बार से अधिक बार भी अवकाश प्रदान किया जा सकता है। विकलांगता बढ़ जाये अथवा भविष्य में पुनः वैसी ही परिस्थितियाँ प्रकट हो जाय तो अवकाश ऐसे अवसरों पर एक से अधिक बार भी प्रदान किया जा सकता है।
- अवकाश चिकित्सा परिषद द्वारा दिये गये चिकित्सा प्रमाणपत्र के आधार पर प्रदान किया जा सकता है तथा अवकाश की अवधि चिकित्सा परिषद द्वारा की गयी संस्तुति पर निर्भर रहती है, परन्तु यह चौबीस महीने से अधिक नहीं होगी।
- अवकाश वेतन- चार महीने पूर्ण औसत वेतन तथा शेष अवधि में अर्द्ध औसत वेतन। मूल नियम 83 तथा 83 क
****************************************************************************************
Leave Rules-अवकाश नियम
9- लघुकृत अवकाश (Commuted Leave)
- लघुकृत अवकाश अलग से कोई अवकाश नहीं है। मूल नियम 84 के अधीन उच्चतर वैज्ञानिक या प्राविधिक अर्हताएँ प्राप्त करने के लिए अध्ययन अवकाश पर जाने वाले स्थायी सरकारी सेवकों के विकल्प पर उनको निजी कार्य पर अवकाश स्वीकृत किये जाने योग्य जमा कुल अवकाश का आधा अवकाश लघुकृत अवकाश के रूप में स्वीकृत किया जा सकता है।
- जितनी अवधि के लिये लघुकृत अवकाश स्वीकृत किया जाता है उसकी दुगुनी अवधि उसके निजी कार्य पर अवकाश खाते में जमा अवकाश में से घटा दी जाती है। किसी एक बार स्वीकृत किये जाने वाले अवकाश की अधिकतम अवधि निजी कार्य पर अवकाश की स्वीकृत हेतु निर्धारित अधिकतम अवकाश के आधे के बराबर है।
- यह अवकाश तभी स्वीकृत किया जायेगा जब स्वीकर्ता अधिकारी को यह समाधान हो जाये कि अवकाश समाप्ति पर सरकारी कर्मचारी सेवा में वापस आयेगा।
- यह अवकाश एशिया में 45 दिन तथा एशिया के बाहर 90 दिन तक एक बार में स्वीकृत किया जा सकेगा। मूल नियम 81-ख (4)
- अर्जित अवकाश की तरह अवकाश पर जाने से ठीक पहले प्राप्त वेतन, अवकाश वेतन के रूप में अनुमन्य है। मूल नियम 87-क(4)