बाह्य सेवा-deputation service पर प्रतिनियुक्ति की शर्तें
उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश संख्या जी-1/दस-82-534(46)-76, दिनांक 14-12-1982 के अनुसार सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों, स्थानीय निकायों आदि में सरकारी सेवकों की बाह्य सेवा-deputation service पर प्रतिनियुक्ति निम्न शर्तो के साथ की जायेगी:-
- किसी भी सरकारी सेवक को सामान्यतया 5 वर्ष से अधिक की अवधि के लिए वाहय सेवा पर स्थानान्तरित न किया जाये। यदि विशेष परिस्थितियों में 5 वर्ष के बाद भी वाहय सेवा पर रखना आवश्यक हो तो स्पष्ट कारणों सहित प्रशासकीय विभाग द्वारा ऐसे प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजे जायें। परन्तु शासनादेश संख्या जी-1-176/दस-99-534(46)/76 टी0सी0, दिनांक 16 मार्च, 99 के प्रस्तर-2 के अनुसार ”सरकारी सेवकों के निगमों आदि में प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने की सामान्य अवधि 03 वर्ष बनाये रखी जा सकती हैं किन्तु 06 वर्ष के उपरान्तर किसी भी दशा में प्रतिनियुक्ति अवधि को न बढाया जाये”।
- दूसरी बार वाहय सेवा पर स्थानान्तरित करने के पूर्व यह सुनिश्चित किया जाये कि बीच में उसने कम से कम पैतृक विभाग में 2 वर्ष तक की सेवा कर ली हो। शासनादेश संख्या सा-1-205/दस-97-534(46)-76, दिनांक 8 अप्रैल 1997 के प्रस्तर-1 के बिन्दु-1 के अनुसार ”किसी भी सरकारी सेवक को जो वाहय सेवा पर एक बार स्थानान्तरिक किया जा चुका हैं उसे दूसरी बार वाहय सेवा पर स्थानान्तरित करने से पूर्व पैतृक विभाग में बीच की सेवा अवधि कम से कम दो वर्ष होगी, परन्तु उक्त दो वर्ष की अवधि को विशेष परिस्थितियों में गुणावगुण के आधार पर छ:माह तक रखने का अधिकार प्रशासकीय विभाग में प्रतिनिहित किया जाता हैं परन्तु इससे कम अवधि के लिए वित्त विभाग की सहमति आवश्यक होगी।
- प्रतिनियुक्ति पर आये किसी सरकारी सेवक को अपनी संख्या/संगठन में नियमित रूप से संविलियन करना चाहें, तो उस सरकारी सेवक का सम्बन्धित संस्था में समविलियन वित्त विभाग की सहमति से सार्वजनिक उद्यम विभाग द्वारा जारी किये गये मार्गदर्शन सिद्धान्त के अनुसार होगा।
- शासनादेश संख्या सा-3-13/दस-97-925/803 दिनांक 6 जनवरी, 1997 के अनुसार 55 वर्ष की आयु से अधिक के सरकारी सेवक प्रतिनियुक्ति पर नहीं भेजे जायेंगे। यदि इन्हें भेजा जाना नितान्त आवश्यक हैं तो प्रशासनिक विभाग वित्त विभाग की पूर्व सहमति प्राप्त करेंगे।
बाह्य सेवा-deputation service के मुख्य नियम
वित्तीय नियम संग्रह खण्ड-2 भाग 2 से 4 के मूल नियम-9 (7) में बाह्य सेवा-deputation service को परिभाषित किया गया हैं और इसके अनुसार वाहय सेवा का तात्पर्य वह सेवा हैं जिसमें सरकारी सेवक अपना वेतन शासन की स्वीकृति से केन्द्रीय अथवा राज्य सरकार अथवा सरकार के परिषद के राजस्व के अतिरिक्त अन्य स्रोतों से प्रापत करता हैं। उदाहरणार्थ, शासन के विभिन्न निगमों, विश्वविद्यालयों, स्थानीय निकायों, विकास प्राधिकरणों आदि में सरकारी सेवक वाहय सेवा पर भेजे जा सकते हैं। वाहय सेवा से सम्बन्धित नियम वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड 2 भाग- 2 से 4 के अध्याय- 12 के अन्तर्गत मूल नियम- 110 से 127 तक तथा सहायक नियम 185, 186 तथा 206 से 208 में दिये हुये हैं।
बाह्य सेवा-deputation service से सम्बन्धित मुख्य मूल नियम निम्न हैं:
- शासन के पूर्ण अथवा आंशिक रूप से स्वामित्व अथवा नियंत्रण में आने वाले निकायों को छोडकर किसी भी सरकारी कर्मचारी को उसकी इच्छा के विरूद्ध बाह्य सेवा-deputation service में स्थानान्तरित नहीं किया जा सकता हैं। भारत वर्ष के बाहर किसी सरकारी कर्मचारी को बाह्य सेवा में भेजने हेतु शासन की स्वीकृति आवश्यक हैं। भारत में भी सरकारी कर्मचारी को बाह्य सेवा में स्थानान्तरण के लिए शासन की स्वीकृति अपेक्षित हैं, परन्तु कतिपय मामलों में भारत वर्ष के अन्दर बाह्य सेवा में स्थानान्तरण का अधिकार अधीनस्थ अधिकारियों को प्रतिनिधानित कर दिया गया हैं। अराजपत्रित कर्मचारियों को राज्य के बाहर अथवा भारत में बाहर सेवा पर विभागाध्यक्ष द्वारा भेजा जा सकता है। मूल नियम 110
- वाहय सेवा में स्थानान्तरण तब तक अनुमन्य नहीं हैं जब तक कि स्थानान्तरण के पश्चात् की जाने वाली ड्यूटी ऐसी न हो जो जनहित में सरकारी कर्मचारी द्वारा ही की जानी आवश्यक हो एवं साथ ही साथ सम्बन्धित सरकारी सेवकों का स्थायी पद पर लियन भी हो। मूल नियम 111
- मूल नियम 111-के नीचे दिये गये राज्यपाल के आदेश के अनुसार एक अस्थायी सरकारी सेवक को भी वाहय सेवा पर भेजा जा सकता हैं। यदि सरकारी सेवक की सेवायें किसी निजी कम्पनी को दी जाने हो तो इस नियम (मूल नियम 111) के सिद्धान्त को अत्यन्त कठोरता से लागू किया जाना चाहिये।
- यदि कोई सरकारी सेवक अवकाश पर हैं और अवकाश पर रहते हुये ही उसे वाहय सेवा में स्थानान्तरित कर दिया जाता हैं तो इस स्थानान्तरण की तिथि से उसका अवकाश में रहना तथा अवकाश वेतन पाना समाप्त हो जाता है। मूल नियम 112
- वाहय सेवा मे स्थानान्तरित/सरकारी सेवक उस संवर्ग/सेवा में बना रहेगा जिसमें वह स्थानान्तरण से पूर्व स्थायी/अस्थायी रूप से कार्यरत रहा हैं। पैतृक विभाग में देय प्रोन्नतियों का लाभ भी उसे देय होगा। मूल नियम 113
प्रतिनियुक्ति हेतु जारी मानक शर्ते निम्न हैं:-
1. वेतन: बाह्य सेवा-deputation service की अवधि में सरकारी सेवक को अपने पैतृक विभाग में समय-समय पर अनुमन्य वेतनमान में वही वेतन देय होता हैं जो वह अपने पैतृक विभाग में पाता हो। शासनादेश संख्या सा-1-374/दस-99-4/99, दिनांक 3 जून 1999 के अनुसार उसी स्टेशन पर तैनाती की दशा में मूल वेतन का 5 प्रतिशत (अधिकतम रू0 500/- प्रतिमाह), यदि तैनाती स्टेशन के बाहर वाहय सेवा पर प्रतिनियुक्ति होता हैं तो वेतन का 10 प्रतिशत परन्तु अधिकतम, रू0 1000/- प्रतिमाह प्रतिनियुक्ति भत्ता इस शर्त के अधीन अनुमन्य होगा कि मूल वेतन तथा प्रतिनियुक्ति भत्ता का योग किसी भी समय रू0 22000/- प्रतिमाह से अधिक नहीं होगा। स्वेच्छा से दूसरे संगठन में वाहय सेवा पर स्थानान्तरित होता हैं तो उसे किसी भी दशा में किसी प्रकार का प्रतिनियुक्ति भत्ता अनुमन्य न होगा। नवीर दरें दिनांक 1 जून, 1999 से प्रभावी होगी।
2. मंहगाई भत्ता: सरकारी सेवक को राज्य सरकार की दरों पर समय’-समय पर अनुमन्य महंगाई भत्ता देय होगा, परन्तु यह मंहगाई भत्ता केवल मूल वेतन पर दिया जायेगा एवं प्रतिनियुक्ति भत्ते को मंहगाई भत्ता की गणना हेतु सम्मिलित नहीं किया जायेगा।
3. नगर प्रतिकर भत्ता: नगर प्रतिकर भत्ते का विनियमन वाहय सेवायोजनक के नियमों के अधीन किया जायेगा।
4. मकान किराया भत्ता: मकान किराया भत्ता का विनियमन वाहय सेवायोजक के नियमों के अधीन किया जायेगा। सरकारी आवास का किराया फ्लैट रेन्ट की दुगनी दर पर लिया जायेगा। बिना किराये के मकान की सुविधा नहीं दी जायेगी।
5. यात्रा भत्ता: बाह्य सेवा की अवधि में एवं वाहय सेवायोजन की अधीन पद पर कार्यभार ग्रहण करने तथा उससे प्रत्यावर्तन के समय की गई यात्राओं के लिये यात्रा भत्ता सरकारी सेवक के विकल्प के अनुसार या तो उसके पैतृक विभाग के नियम के अनुसार देय होगा अथवा वाहय सेवायोजनक के नियम के अनुसार, परन्तु इनका भुगतान वाहय सेवायोजन द्वारा ही किया जायेगा।
6. भविष्य निधि: बाह्य सेवा की अवधि में सरकारी सेवक राज्य सरकार के भविष्य निधि नियमों द्वारा नियंत्रित होंगे। बाह्य सेवायोजक को चाहिये कि वह सरकारी सेवक के वेतन से भविष्य निधि का अभिदान काट ले तथा उसे ट्रेजरी चालान के माध्यम से सरकारी कोष में उपयुक्त लेखा शीर्षक के अन्तर्गत जमा कर दें। प्रदेश के बाहर बाह्य सेवा-deputation service पर कार्यरत सरकारी सेवकों के मामले में बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से भविष्य निधि की धनराशि पैतृक विभाग में लेखाधिकारी (जिसके द्वारा भविष्य निधि का लेखा रखा जाता हैं) को भेज दिया जाना चाहिये।
7. चिकित्सा सुविधाऐं: राज्य सरकार के अधीन उनको प्राप्त सुविधाओं से किसी प्रकार भी निम्नतर नहीं होगी। वाहय सेवायोजनक द्वारा चिकित्सा भत्ता देय नहीं होगा।
8. अवकाश वेतन तथा अवकाश अवधि में प्रतिकर भत्ता: अवकाश वेतन उसके पैतृक विभाग द्वारा देय होगा। मंहगाई भत्ता तथा प्रतिकर भत्तों का पूरा वाहय सेवायोजनक द्वारा वहन किया जायेगा।
9. अन्य वित्तीय सुविधायें: बिना शासन की सहमति के देय नहीं होगी।
10. कार्यभार ग्रहरण करने के समय का वेतन और कार्यभार छोडने के समय का वेतन दोनों का ही विनियमन राज्य सरकार के नियमों के अधीन किया जायेगा और इसका भुगतान बाह्य सेवायोजनक द्वारा किया जायेगा। यह प्रक्रिया बाह्य सेवा-deputation service पर स्थानान्तरण के समय लिये जाने वाले कार्यभार ग्रहण काल एवं बाह्य सेवा से प्रत्यावर्तन के समय लिये जाने वाले कार्यभार ग्रहणकाल दोनों के लिए लागू होगी।
11. अवकाश वेतन तथा पेंशन सम्बन्धी अंशदान: वित्तीय हस्त पुस्तिका खण्ड-2, भाग- 2 से 4 के मूल नियम 115 एवं 116 के अधीन शासन द्वारा समय-स3य पर निर्धारित दरों के अनुसार अवकाश वेतन का अंशदान तथा पेंशन के लिए अंशदान दोनों का ही भुगतान सरकारी सेवक अथवा वाहय सेवायोजनक द्वारा जैसी भी स्थिति हो किया जायेगा। राज्य सरकार के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा वाहय सेवा की अवधि में पेंशनरी/अवकाश वेतन अंशदान आदि का भुगतान शासनादेश संख्या सा-1-1460/दस-534(38)/22 दिनांक 30 नवम्बर, 1988 में उल्लिखित लेखा शीर्षकों में जमा किया जायेगा। अधिकारियों द्वारा प्रतिनियुक्ति के समय अपना अवकाश वेतन अंशदान एवं पेंशन अंशदान निम्न लेखा शीर्षकों में जमा किया जाना चाहिए।
अवकाश वेतन अंशदान (उत्तराखंड राज्य के लिए लेखाशीर्षक)
0070 : अन्य प्रशासिनक सेवायें 60 : अन्य सेवायें 800 : अन्य प्राप्तियॉं 17 : अवकाश वेतन अंशदान
पेंशन अंशदान 0070 : पेंशन तथा अन्य सेवानिवृत्ति लाभों के सम्बन्ध में अंशदान की वसूली 01 : सिविल 101 : अभिदान और अंशदान 05 : प्रतिनियुक्ति पर गये सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों का पेंशन के लिये अंशदान चालान में अंशदान की अवधि तथा प्रतिनियुक्ति के पद का विवरण अनिवार्य रूप से अंकित किया जाना चाहिए।
आवश्यक अंशदानों का भुगतान वार्षिक आधार पर किया जायेगा। इसे विलम्बतम 15 अप्रैल तक किया जाना होगा। समय से जमा न कराने पर अंशदानों पर रू0 100 पर 2 पैसा प्रतिदिन की दर से ब्याज भी देना होगा। सहायक नियम 185
अवकाश वेतन अंशदान पर अवकाश वेतन से सम्बन्धित अंशदान की नवीनतम शासनादेश जी-1-98/दस-534(1)/93, दिनांक 26-2-94 द्वारा निर्धारित की गई हैं और इसके अनुसार वर्तमान मूल वेतन का 11 प्रतिशत की धनराशि अवकाश वेतन अंशदान के रूप में देय होगी।
पेंशन अंशदान की दर- पेंशन से सम्बन्धित अंशदान की दरें वर्तमान शासनादेश संख्या जी-1-2700/दस(10)/82, दिनांक 15-12-82 द्वारा निर्धारित की गयी हैं। पेंशन अंशदान सेवा अवधि तथा अनुमन्य वेतनमान के अधिकतम पर आगणित किया जाता हैं।
पेंशन अंशदान की मासिक दर (वेतनमान के अधिकतम का प्रतिशत में)
सेवा अवधि (वर्ष में) | श्रेणी (क) | श्रेणी (ख) | श्रेणी (ग) | श्रेणी (घ) |
0-1 | 7 | 6 | 5 | 4 |
1-2 | 7 | 6 | 6 | 4 |
2-3 | 8 | 7 | 6 | 5 |
3-4 | 8 | 7 | 7 | 5 |
4-5 | 9 | 8 | 7 | 5 |
5-6 | 10 | 8 | 7 | 6 |
6-7 | 10 | 9 | 8 | 6 |
7-8 | 11 | 9 | 8 | 6 |
8-9 | 11 | 10 | 9 | 7 |
9-10 | 12 | 10 | 9 | 7 |
10-11 | 12 | 11 | 10 | 7 |
11-12 | 13 | 11 | 10 | 8 |
12-13 | 14 | 12 | 10 | 8 |
13-14 | 14 | 12 | 11 | 8 |
14-15 | 15 | 13 | 11 | 9 |
15-16 | 15 | 13 | 12 | 9 |
16-17 | 16 | 14 | 12 | 9 |
17-18 | 16 | 14 | 13 | 10 |
18-19 | 17 | 15 | 13 | 10 |
19-20 | 17 | 15 | 13 | 10 |
20-21 | 18 | 16 | 14 | 11 |
21-22 | 19 | 16 | 14 | 11 |
22-23 | 19 | 17 | 15 | 11 |
23-24 | 20 | 17 | 15 | 12 |
24-25 | 20 | 17 | 16 | 12 |
25-26 | 21 | 18 | 16 | 12 |
26-27 | 21 | 18 | 16 | 13 |
27-28 | 22 | 19 | 17 | 13 |
28-29 | 23 | 19 | 17 | 13 |
29-30 | 23 | 20 | 18 | 13 |
30 वर्ष से अधिक | 23 | 20 | 18 | 14 |
12- अवकाश यात्रा सुविधा: शासन के नियमों के अनुसार बशर्ते बाह्य सेवायोजक इसका पूरा व्यय वहन करेगा।
13- सामूहिक बीमा योजना: बाह्य सेवा पर गये सरकारी सेवक द्वारा इस योजना के अधीन भुगतान वाहय सेवा की अवधि में निरन्तर किया जाता रहेगा। सामान्य भविष्य निधि की भॉति इसकी कटौती भी वेतन से करते हुए ट्रेजरी चालान के माध्यम से जमा करायी जायेगी।
14- भारत के बाहर बाह्य सेवा: वाहय सेवा पर पेंशन का अंशदान सम्बन्धित सरकारी सेवक को स्वयं जमा करना होगा। भुगतान की गयी धनराशि वह अपने वाहय सेवायोजक से ले सकता हैं। अवकाश वेतन का अंशदान जमा नहीं करना पडता हैं क्योंकि वह भारत के बाहर कोई अवकाश भी अर्जित नहीं करता हैं। इस अवधि में अवकाश लेखे से कोई अवकाश घटाया भी नहीं जाता हैं। प्रतिनियुक्ति भत्ता देय नहीं होता।