What is Promotion Forgo Rules
पदोन्नति का परित्याग नियमावली उत्तराखंड 2024
उत्तराखंड राज्याधीन सेवाओं के अन्तर्गत कार्मिकों द्वारा पदोन्नति का परित्याग (Forgo) करने पर नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा निम्नलिखित प्रक्रिया अपनायी जा सकेगी यह नियमावली राज्याधीन सेवाओं के अन्तर्गत नियुक्त कार्मिकों की नियमित पदोन्नति के सम्बन्ध में लागू होगी।:-
यह नियमावली राज्याधीन सेवाओं के अन्तर्गत नियुक्त कार्मिकों की नियमित पदोन्नति के सम्बन्ध में लागू होगी।
राज्याधीन सेवाओं के अन्तर्गत कार्मिकों द्वारा पदोन्नति का परित्याग (Forgo) करने पर नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा निम्नलिखित प्रक्रिया अपनायी जा सकेगी-
(1) कार्यभार ग्रहण काल अधिकतम 15 दिन – राज्याधीन सेवाओं में आयोग / विभागीय पदोन्नति समिति की संस्तुति पर नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा सम्बन्धित कार्मिक के पदोन्नति आदेश में कार्यभार ग्रहण करने हेतु अधिकतम पन्द्रह दिन की अवधि निर्धारित की जायेगी। कार्यभार ग्रहण न करने की दशा में किसी भी परिस्थिति में नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा अतिरिक्त समय नहीं दिया जा सकेगा.
(2) पदोन्नति अस्वीकार करने हेतु लिखित आवेदन – जब कोई कार्मिक उसे दी गई पदोन्नति स्वीकार नहीं करना चाहता है. तो यह लिखित अनुरोध कर सकता है कि उसे पदोन्नत न किया जाए और नियुक्ति प्राधिकारी प्रासंगिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अनुरोध पर विचार करेगा;
(3) परित्याग के लिए शपथपत्र– पदोन्नति का परित्याग करने वाले संबंधित कार्मिक से इस आशय का विधिवत् शपथ-पत्र प्राप्त कर लिया जाए कि वह भविष्य में पुनः कभी भी अपनी पदोन्नति की मांग नहीं करेगा और इसके परिणामस्वरूप नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा चयन सूची से अगले पात्र कार्मिक को पदोन्नत किया जा सकेगा:
(4)-पदोन्नति हेतु परित्याग अंतिम होगा- एक बार पदोन्नति का परित्याग करने के पश्चात् संबंधित कार्मिक को भविष्य में होने वाली पदोन्नति हेतु पात्रता सूबी में सम्मिलित नहीं किया जाएगा,
(5) परित्याग करने वाले कार्मिकों का चिन्हीकरण- कार्मिकों का -ऐसे कार्मिक जिनके द्वारा पदोन्नति का परित्याग (Forgo) किया जाता है. के सम्बन्ध में नियुक्ति प्राधिकारी पदोन्नति का परित्याग करने के कारणों का विश्लेषण करते हुए यह यह निर्णय लेंगे कि उन्हे भविष्य में, जनहित में, संवेदनशील/महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया जाए अथवा नहीं। यह एक तरह से परित्याग करने पर रोक लगाए जाने हेतु व्यवस्था है।
कार्मिक जो इस नियमावली के नियमों के विपरीत कार्य करते हैं उनके लिए इस नियमावली के उपबन्धों को लागू करने में शिथिलता बरते जाने पर उत्तराखण्ड राज्य कर्मचारियों की आचरण नियमावली, 2002 तथा उत्तराखण्ड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 2003 के उपबन्धों के अधीन अनुशासनात्मक कार्यवाही संस्थित की जा सकेगी।
पदोन्नति का परित्याग नियमावली उत्तर प्रदेश 2022
उत्तर प्रदेश शासन द्वारा अपने शासनदेश संख्या 14/2022/सैंतालीस-क-2022 दिनांक 06 october 2022 में व्यवस्था लागू की कि शासन के संज्ञान में आया है कि कतिपय सरकारी सेवकों द्वारा पदोन्नति से इन्कार (Forgo) करते हुए पदोन्नति के पद पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया जाता है अथवा एक बार पदोन्नति से इन्कार (Forgo) किए जाने के पश्चात पुनः पदोन्नति की मांग की जाती है। इस प्रकार के प्रकरणों में शासन की कोई स्थापित व्यवस्था न होने के कारण नियुक्ति प्राधिकारियों को निर्णय लेने में असहजता की स्थिति का सामना करना पड़ता है। किसी भी सरकारी सेवक द्वारा पदोन्नति से इन्कार (Forgo) किए जाने के मामलों में, निम्नवत् व्यवस्था के अनुसार कार्यवाही सुनिधित की जायेगी:-
(क) पदोन्नति से इन्कार करने वाले संबंधित सरकारी सेवक से इस आशय का विधिवत् शपथ-पत्र प्राप्त कर लिया जाए कि वह भविष्य में पुनः कभी भी अपनी पदोन्नति की मांग नहीं करेगा।
(ख) एक बार पदोन्नति से इन्कार (Forgo) करने के पश्चात संबंधित सरकारी सेवक को भविष्य में होने वाली पदोन्नति हेतु पात्रता सूची में सम्मिलित नहीं किया जाएगा।
(ग) ऐसे सरकारी सेवक जिनके द्वारा पदोन्नति से इन्कार (Forgo) किया जाता है, के संबंध में नियुक्ति प्राधिकारी पदोन्नति से इन्कार करने के कारणों का विश्लेषण करते हुए स्वविवेक से यह निर्णय लेगे कि उन्हें भविष्य में, जनहित में, संवेदनशील/महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया जाए अथवा नहीं।