Promotion Forgo Rule 2 state UP & Uttarakhand
पदोन्नति का परित्याग नियमावली उत्तराखंड 2020
राज्याधीन सेवाओं के अन्तर्गत कार्मिकों द्वारा पदोन्नति का परित्याग (Forgo) करने पर नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा निम्नलिखित प्रक्रिया अपनायी जा सकेगी यह नियमावली राज्याधीन सेवाओं के अन्तर्गत नियुक्त कार्मिकों की नियमित पदोन्नति के सम्बन्ध में लागू होगी।:-
प्रथम बार पदोन्नति से परित्याग (Promotion Forgo Rule 2 state UP & Uttarakhand)
कार्यभार ग्रहण करने हेतु अधिकतम (1) राज्याधीन सेवाओं में विभागीय पदोन्नति समिति की संस्तुति पर नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा पदोन्नति आदेश में कार्यभार ग्रहण करने हेतु अधिकतम पन्द्रह दिन की अवधि निर्धारित की जायेगी, किन्तु सम्बन्धित कार्मिक द्वारा कार्यभार ग्रहण करने हतु लिखित अनुरोध पर अपरिहार्य परिस्थिति में नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा पन्द्रह दिन का अतिरिक्त समय दिया जा सकेगा,
(2) यदि किसी कार्मिक द्वारा निर्धारित अवधि के भीतर पदोन्नति के पद पर कार्यभार ग्रहण न कर लिखित रूप में पदोन्नति का परित्याग (Forgo) प्रथम बार किया जाता है तो नियुक्ति प्राधिकारी ऐसे प्रकरणों में गुण-दोष के आधार पर निर्णय ले सकेंगे,
(3) यदि उसी चयन वर्ष में पुन विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक आहूत की जाती है तो नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा उपनियम (2) के अनुसार लिये गये निर्णय से विभागीय पदोन्नति समिति को अवगत कराया जायेगा और पदोन्नति का परित्याग (Forgo) करने वाले कार्मिक से कनिष्ठ (पदोन्नति हेतु पात्र/उपयुक्त) कार्मिक की पदोन्नति की सस्तुति हेतु अनुरोध किया जा सकेगा,
नोशनल पदोन्नति का दावा नहीं परन्तु पदोन्नति का परित्याग (Forgo) करने वाला कार्मिक किसी नियम या शासनादेश में किसी बात के होते हुए भी कनिष्ठ की पदोन्नति की तिथि से नोशनल पदोन्नति का दावा नहीं कर सकेगा:
विभागीय पदोन्नति प्रकिया प्रारम्भ होने से पूर्व ही आवेदन (4) यदि किसी कार्मिक के द्वारा विभागीय पदोन्नति प्रकिया प्रारम्भ होने से पूर्व ही सम्भावित चयन/पदोन्नति का परित्याग (Forgo) करने का लिखित अनुरोध किया जाता है तो ऐसा किया गया अनुरोध अनुशासनहीनता माना जायेगा एवं उत्तराखण्ड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानान्तरण अधिनियम 2017 की धारा 18 (2) के अन्तर्गत सम्भावित स्थानान्तरण से बचने का प्रयास तथा उसे कार्य के प्रति अभिरूचि न लेने आदि के आधार पर धारित पद पर ही उक्त अधिनियम की धारा 18(4) के अन्तर्गत प्रशासनिक आधार पर स्थानान्तरित किया जा सकेगा,
द्वितीय बार परित्याग (5) यदि किसी कार्मिक द्वारा उसे दी गयी पदोन्नति को द्वितीय बार परित्याग (Forgo) किये जाने का लिखित अनुरोध किया जाता है तो सम्बन्धित कार्मिक के अनुरोध पर नियुक्ति प्राधिकारी उप नियम (3) एवं (4) के अनुसार कार्यवाई कर सकेंगे:
दो से अधिक बार पदोन्नति का परित्याग (6) यदि किसी कार्मिक द्वारा दो से अधिक बार पदोन्नति का परित्याग (Forgo) किये जाने का लिखित अनुरोध किया जाता है तो उत्तराखण्ड सरकारी सेवक ज्येश्वता नियमावली, 2002 अथवा अन्य किसी नियम/शासनादेश में किसी बात के होते हुए भी ऐसे कार्मिक पदोन्नति के पद पर अपनी ज्येष्ठता खो देंगे तथा खोई हुई ज्येष्ठता को पुनः प्राप्त नहीं कर सकेंगे।
अनुशासनिक कार्यवाही का किया जाना- इस नियमावली के उपबन्धों को लागू करने मे शिथिलता बरते जाने पर उत्तराखण्ड राज्य कर्मचारियों की आचरण नियमावली, 2002 तथा उत्तराखण्ड सरुकारी सेवक (अनुशासन एव अपील) नियमावली, 2003 के उपबन्धों के अधीन अनुशासनात्मक कार्यवाही सस्थित की जा सकेगी।
आज्ञा से (राधा रतूड़ी) अपर मुख्य सचिव।
पदोन्नति का परित्याग नियमावली उत्तर प्रदेश 2022
उत्तर प्रदेश शासन द्वारा अपने शासनदेश संख्या 14/2022/सैंतालीस-क-2022 दिनांक 06 october 2022 में व्यवस्था लागू की कि शासन के संज्ञान में आया है कि कतिपय सरकारी सेवकों द्वारा पदोन्नति से इन्कार (Forgo) करते हुए पदोन्नति के पद पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया जाता है अथवा एक बार पदोन्नति से इन्कार (Forgo) किए जाने के पश्चात पुनः पदोन्नति की मांग की जाती है। इस प्रकार के प्रकरणों में शासन की कोई स्थापित व्यवस्था न होने के कारण नियुक्ति प्राधिकारियों को निर्णय लेने में असहजता की स्थिति का सामना करना पड़ता है। किसी भी सरकारी सेवक द्वारा पदोन्नति से इन्कार (Forgo) किए जाने के मामलों में, निम्नवत् व्यवस्था के अनुसार कार्यवाही सुनिधित की जायेगी:-
(क) पदोन्नति से इन्कार करने वाले संबंधित सरकारी सेवक से इस आशय का विधिवत् शपथ-पत्र प्राप्त कर लिया जाए कि वह भविष्य में पुनः कभी भी अपनी पदोन्नति की मांग नहीं करेगा।
(ख) एक बार पदोन्नति से इन्कार (Forgo) करने के पश्चात संबंधित सरकारी सेवक को भविष्य में होने वाली पदोन्नति हेतु पात्रता सूची में सम्मिलित नहीं किया जाएगा।
(ग) ऐसे सरकारी सेवक जिनके द्वारा पदोन्नति से इन्कार (Forgo) किया जाता है, के संबंध में नियुक्ति प्राधिकारी पदोन्नति से इन्कार करने के कारणों का विश्लेषण करते हुए स्वविवेक से यह निर्णय लेगे कि उन्हें भविष्य में, जनहित में, संवेदनशील/महत्वपूर्ण पदों पर तैनात किया जाए अथवा नहीं।
आज्ञा से (दुर्गा शंकर मिश्र) अपर मुख्य सचिव।