What is Power Delegation Financial Handbook Volume-1
वित्तीय अधिकारों का प्रतिनिधायन
वित्तीय अधिकारों का प्रतिनिधायन उत्तराखंड राज्य
अधिकारों का प्रतिनिधायन
सामान्य
1 शासन के अधिकार, संविधान के अनुच्छेद 154 के अंतर्गत और उसके उपबन्धों के अधीन रहते हुए शासन के अधीनस्थ किसी अधिकारी को उस सीमा तक और ऐसे प्रतिबंधों के साथ, जिन्हें शासन लगाना आवश्यक समझे, अथवा जो संविधान या शासन के नियमों अथवा आदेशों या राज्य विधान मंडल के किसी अधिनियम के उपबन्धों द्वारा पहले से ही लगाये गये हों, प्रतिनिहित किये जा सकते हैं। वे शर्तें और प्रतिबन्ध, जिनके अधीन ऐसे अधिकार प्रतिनिहित किये जायें, प्रतिनिहित करने के आदेशों अथवा नियमों में निर्दिष्ट कर देने चाहिए।
2 प्रतिनिहित अधिकार का प्रयोग उपर्युक्त प्रस्तर 3.1 में उल्लिखित शर्तों और प्रतिबन्धों के अधीन और सामान्य नियमों तथा समय-समय पर शासन द्वारा जारी किये गये विशेष निर्देशों के अनुपालन में किया जायेगा। सभी मामलों में, शासकीय धन का किसी प्रकार का व्यय करने से पूर्व अथवा उसका किसी भी प्रयोजन के लिए किसी भी व्यक्ति को भुगतान करने अथवा अग्रिम देने से पूर्व निम्नलिखित मूलभूत शर्तें अवश्य पूरी की जानी चाहिए, अर्थात :
(1) उक्त व्यय की वास्तव में जनहित में आवश्यकता हो।
(2) उक्त व्यय वास्तविक मांग से अधिक नहीं होना चाहिए।
(3) उक्त व्यय करने की अथवा धन का भुगतान करने अथवा अग्रिम देने की विशिष्ट स्वीकृति अथवा प्राधिकार हो,
(4) व्यय करने का अथवा भुगतान करने या अग्रिम देने का प्राधिकार अथवा उसकी स्वीकृति तब तक प्रयोग में नहीं लायी जायेगी, जब तक कि उस व्यय को पूरा करने के लिए अपेक्षित निधियां बजट मैनुअल में दिये हुए नियमों के अनुसार सक्षम प्राधिकारी द्वारा विनियोजित न कर ली गयी हो, और
(5) वित्तीय औचित्य के निर्धारित मापदण्डों में से (जो बजट मैनुअल में उद्धघृत किये गये है) किसी का उल्लंघन न होता हो।
टिप्पणी- ऐसे मामलों में जिनमें कोई विशिष्ट वित्तीय प्रतिनिधायन किसी अधिकारी को प्रतिनिहित किया गया हो, तो उसी विषय पर किया गया सामान्य वित्तीय प्रतिनिधायन, यदि कोई हो, लागू नहीं होगा।
3 वित्तीय नियम बनाने का अधिकार शासन के वित्त विभाग के अतिरिक्त किसी भी विभाग को प्रतिनिहित नहीं किया जा सकता है।
4 वित्तीय अधिकार केवल वित्त विभाग की अनुमति से ही प्रतिनिहित किये जा सकते हैं।
5 किसी प्राधिकारी को प्रतिनिहित किये गये वित्तीय अधिकार, वित्त विभाग की विशिष्ट स्वीकृति के बिना उस प्राधिकारी द्वारा किसी अधीनस्थ प्राधिकारी को पुनः प्रतिनिहित नहीं किये जायेंगे।
6 प्रस्तर 3.1 के अधीन शासन द्वारा किये गये प्रतिनिधान इस अध्याय के अगले खण्डों में दिये गये हैं और उनका सविस्तार वर्णन इस नियम संग्रह के भाग-2 में दिये हुए विवरण पत्रों में किया गया है। किन्तु इस नियम सग्रह में सम्पूर्ण प्रतिनिधानों का उल्लेख नहीं है। वित्तीय नियम संग्रह खण्ड-11 खण्ड-1 खण्ड-V, खण्ड-VI एवं खण्ड-VII, बजट मैनुअल एवं अन्य विभागीय मैनुअलों में दिये हुए नियमों के अधीन किये गये प्रतिनिधान उन नियमों से सम्बन्धित सलग्न सूचियों में दिये हुए है। कतिपय वित्तीय अधिकारों के प्रतिनिधान वित्तीय नियम संग्रह के अन्य खण्डों के नियमों में भी दिये हुए हैं।
7 ऊपरिउल्लिखित प्रतिनिधानों के अलावा कोई अधीनस्थ प्राधिकारी उन सब मामलों में शासन के अधिकारों का प्रयोग कर सकता है, जिसमें कि उसे संविधान के उपबन्धों, उसके अधीन बने नियमों, संविधान के अधीन शासन द्वारा जारी किये गये आदेशों अथवा तत्समय प्रवृत्त विधान गण्डल द्वारा पारित अधिनियम अथवा किसी ऐसे अधिनियम के अधीन बनाये गये नियमों द्वारा प्राधिकृत किया गया है।
तथापि इस पैरा के अधीन किसी अधीनस्थ प्राधिकारी को शासन की स्वीकृति के बिना ऐसा व्यय करने का अथवा ऐसा व्यय करने को प्राधिकृत करने का अधिकार नहीं प्राप्त होगा, जिसमें कि किसी नये सिद्धान्त, नीति अथवा प्रथा या ‘नयी सेवा पर, जैसा कि बजट मैनुअल में परिभाषित है, व्यय अन्तर्निहित हो।
खण्ड-II
आकस्मिक और अन्य प्रकीर्ण व्यय करने के अधिकार
8 आकस्मिक तथा अन्य प्रकीर्ण मामलों पर व्यय करने के सम्बना में अधीनस्थ प्राधिकारियों को प्रतिनिहित किये अधिकार इस संग्रह के भाग-2 में दिये गये विवरण पत्र-1 में सूचीबद्ध किये गये हैं।
टिप्पणी – आकस्मिक और अन्य प्रकीर्ण व्यय के सम्बन्ध में आहरण-वितरण अधिकारियों को स्वीकृत अनुदान व्यय करने की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है, किन्तु शर्त यह है कि इस प्रयोजन के लिए निर्धारित धनराशि में वृद्धि न होने पाये और वह धनराशि केवल उन्हीं निर्धारित मदों पर व्यय की जाये जो कि आकस्मिक और अन्य प्रकीर्ण व्यय के नामें डाली जा सकती हो।