Joining Period-कार्यभार ग्रहण काल
सन्दर्भ
वित्ती हस्तपुस्तिका खण्ड-2 भाग 2 से 4 अध्याय 11 मूल नियम 105 से 108
सहायक नियम- अध्याय 7 नियम 38 से 41
अध्याय 18 नियम 173 से 184 (क)
अध्याय 20 नियम 197
शासकीय नियम संग्रह प्रस्तर 1032 से 1035 तक
- सरकारी सेवकों को जनहित में एक पद से दूसरे पद पर स्थानान्तरिक/नियुक्त किये जाने पर, उसे नये पद कार्यभार ग्रहण करने हेतु घरलू व्यवस्था करने तथा नियुक्ति के स्थान तक यात्रा करने के लिए नियमों के अन्तर्गत अनुमन्य होने वाले समय को कार्यभार ग्रहण काल जाता हैं। मूल नियम 9 (7) (क) (।।) के अनुसार कार्यभार ग्रहण काल में सरकारी सेवक डयूटी पर माना जाता हैं तथा वेतनवृद्धि आदि हेतु गिना जाता हैं।
- सामान्यतया प्रथम नियुक्ति की दशा में कार्यभार ग्रहण काल अनुमन्य नहीं हैं।
- सरकारी कर्मचारी को कार्यभार ग्रहण काल प्रदान किया जा सकता हैं-
- (क) किसी नये पद का joining Period-कार्यभार ग्रहण करने के लिए, जिस पर वह अपने पुराने पद पर डयूटी करते हुये, या उस पद का कार्यभार छोडने के बाद सीधे ही नियुक्त हुआ हो।
- (ख) नये पद का कार्यभार ग्रहण करने के लिये
- चार महीने से अनधिक अवधि का अर्जित अवकाश से लौटने पर
- जब उसको अपने नये पद पर नियुक्ति के बारे में पर्याप्त सूचना न हुई हो, तो उप खण्ड (1) में निर्दिष्ट अवकाश के अतिरिक्त अन्य अवकाश से लौटने पर।
- सहायक नियम 181 के अनुसार अवकाश स्वीकृत करने वाला अधिकारी यह निर्णय लेगा कि सूचना अपर्याप्त थी अथवा नहीं। मूल नियम 105
- यदि किसी सरकारी कर्मचारी को अपने मुख्यालय के अतिरिक्त किसी अन्य स्थान पर अपने कार्यभार को छोडने के लिए अधिकृत किया जाय तो जितने कार्यभार ग्रहण काल का वह अधिकारी होगा उस स्थान से गिना जायेगा जहॉं उसने अपना कार्यभार वास्तव में छोडा हो। मूल नियम 105 में सम्बन्धित लेखा-परीक्षा अनुदेश
- सरकारी सेवकों को प्रशिक्षण के स्थान तक जाने तथा वापसी के लिए यात्रा हेतु अपेक्षित उचित समय दिया जायेगा। मूल नियम 105 से सम्बन्धित लेखा-परीक्षा अनुदेश
- केन्द्रीय सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार का सरकारी कर्मचारी जो अपने पुराने पद पर डयूटी में रहते हुए उत्तरांचल शासन के अधीन किसी पद पर नियुक्त होता हैं, परन्तु जो केन्द्रीय या दूसरी राज्य सरकार के अन्तर्गत त्याग-पत्र या किसी अन्य कारण से अपनी सेवा की समाप्ति के पश्चात् अपने नये पद का कार्यभार ग्रहण करता हैं, तो उसको कोई कार्यभार ग्रहण काल अथवा उस काल का वेतन नहीं दिया जाना चाहिये जब तक कि किसी कर्मचारी विशेष की नियुक्ति अधिक विस्तृत जनहित में न हो। मूल नियम 105 के अन्तर्गत राज्यपाल के आदेश
- कार्यभार ग्रहण काल ऐसे नियमों द्वारा विनियमित किया जायेगा जो शासन वास्तविक गमन के लिए तथा गृहस्थी को व्यवस्थित करने के लिए अपेक्षित समय को ध्यान में रखते हुए निर्धारित कर दें। मूल नियम 106
- कार्यभार ग्रहण काल में उसको वही वेतन मिलेगा जो वह स्थानान्तरिक न होने पर पाता या वह वेतन जो वह नये पद का कार्यभार ग्रहण करने पर पायेगा, इसमें से जो भी कम हो।मूल नियम 107
- कोई सरकारी कर्मचारी जो कार्यभार ग्रहणकाल के भीतर अपने पद पर कार्यभार ग्रहण नहीं करता, वह कार्यभार ग्रहणकाल की समाप्ति पर किसी वेतन या अवकाश वेतन पाने का अधिकारी नहीं रह जाता। कार्यभार ग्रहणकाल की समाप्ति के पश्चात डयूटी से जान-बूझकर अनुपस्थिति को नियम 15 के लिए दुर्व्यहार समझना चाहिये।
- किसी व्यक्ति को जो सरकारी सेवा के अतिरिक्त किसी अन्य सेवा में हो या जो ऐसी सेवा में होते हुये अवकाश पर हो यदि शासन के हित में शासन के अन्तर्गत किसी पद पर नियुक्ति किया जाय, तो उसे शासन के विवेक पर, उस अवधि के लिये कार्यभार ग्रहण काल पर माना जा सकता हैं जिसमें वह शासन के अन्तर्गत पद का कार्यभार ग्रहण करने के लिये तैयारी करे तथा यात्रा करें या जब वह शासन के अन्तर्गत पद से प्रत्यावर्तित होकर अपनी मूल सेवा या निजी सेवा में आने के लिये तैयारी तथा यात्रा करें। मूल नियम 108 (क)
अर्जित अवकाश से लौटने की दशा में संगत स्थान
120 दिन से अनधिक अवधि के अर्जित अवकाश काल में नये पद पर नियुक्ति की दशा में कार्यभार ग्रहण काल का हिसाब सरकारी सेवक के पुराने पद के स्थान से अथवा नियुक्ति आदेश प्राप्त होने के स्थान से किया जाना चाहिए तथा इनमें से जो समय कम हो। यदि नियुक्ति आदेश अवकाश में प्रस्थान से पहले प्राप्त हो चुका हो तो कार्यभार ग्रहण काल का हिसाब सरकारी सेवक के पुराने पद के स्थान अथवा उस स्थान से जहां से वह नये पद का कार्यभार ग्रहण करने के लिए वास्तव में प्रस्थान करें इनमें से जो भी समय कम हो, वहां से प्रदान किया जाना चाहिए। ऐसे सरकारी सेवकों जिनके द्वारा स्थानान्तरण की दशा में नये पद का कार्यभार ग्रहण करने के लिए अनुमन्य तैयारी के लिए छ: दिन के कार्यभार ग्रहण काल का उपयोग यदि नहीं किया जाता हैं तो उन्हें ऐसे अवशेष कार्यभार ग्रहण काल को विशेष आकस्मिक अवकाश के रूप में स्थानान्तरण के छ:माह के भीतर उपभोग करने की अनुमति प्रदान कर दी जायेगी। शासनादेश संख्या जी-1-1156/दस-204/81, दिनांक 71 सितम्बर, 1988 तथा जी-1-1038/दस-204/81, दिनांक 04 सितम्बर, 1989
* कार्यभार ग्रहण काल की अविध
(क) निवास स्थान आवश्यक रूप से न बदलने की दशा में- एक दिन से अधिक का समय कार्यभार ग्रहण काल के रूप में अनुमन्य नहीं हैं।
(ख) निवास स्थान का परिवर्तन आवश्यक होने की दशा में 30 दिन की अधिकतम सीमा के अधीन कार्यभार ग्रहण काल निम्न प्रकार से देय हैं।
- छ: दिन तैयारी के लिए
- बाकी वास्तविक यात्रा के लिए
यात्रा का साधन | अनुमन्य काल |
रेलगाडी द्वारा | प्रत्येक 500 किमी0 के लिए एक दिन |
समुद्री स्टीमर द्वारा | प्रत्येक 350 किमी0 के लिए एक दिन |
नदी स्टीमर द्वारा | प्रत्येक 150 किमी0 के लिए एक दिन |
मोटर कार या बस द्वारा | प्रत्येक 150 किमी0 के लिए एक दिन |
किसी अन्य प्रकार से | प्रत्येक 25 किमी0 के लिए एक दिन |
यात्रा के आरम्भ में अथवा सडक द्वारा रेलवे/बस स्टेशन तक अथवा रेलवे/बस स्टेशन से निवास तक की गयी 08 किमी0 तक की यात्रा को कार्यभार ग्रहण काल के लिए नहीं गिना जाता हैं। रविवार को एक दिन गिना जाता हैं। सहायक नियम 174
यात्रा मार्ग- सरकारी कर्मचारी वास्तव में चाहे जिस रास्तें से यात्रा करे उसका कार्यभार ग्रहण समय उसी रास्तें से लगाया जायेगा जिसे यात्री साधारणतया प्रयोग में लाते हैं, जब तक कि स्थानान्तरण करने हेतु सक्षम प्राधिकारी द्वारा विशेष कारणों का उल्लेख करते हुए अन्यथा आदेश न दे दिये गये हों। सहायक नियम 176
यदि सरकारी कर्मचारी को अपने मुख्यालय के अतिरिक्त अन्य स्थान में अपने पद का कार्यभार सौपने के लिये अधिकृत किया जाता हैं तो उसके कार्यभार ग्रहण काल का हिसाब उस स्थान से लगाया जायेगा जिस स्थान में वह कार्यभार सौंप दें। सहायक नियम 177
कार्यभार ग्रहण काल के दौरान नियुक्ति में परिवर्तन होने की दशा में कार्यभार ग्रहण काल
- जब कोई सरकारी सेवक एक पद का कार्यभार सौंपकर दूसरे पर का कार्यभार ग्रहण करने के लिए जाते समय किसी अन्य नये पद पर नियुक्त कर दिया जाता हैं तो उस नये पद का कार्यभार संभालने के लिए उसके कार्यभार ग्रहण का प्रारम्भ नियुक्ति आदेश प्राप्त होने की तिथि के अगले दिन से होता हैं।
- नियुक्ति में इस प्रकार परिवर्तन होने पर अनुमन्य होने वाले कार्यभार ग्रहण काल में तैयारी के लिए मिलने वाला छ: दिन दुबारा शामिल नहीं किया जायेगा। सहायक नियम 178
- यदि सरकारी कर्मचारी एक पद से दूसरे का कार्यभार ग्रहण करने हेतु जाते समय अवकाश लेता हैं तो उसके पुराने पद के कार्यभार सौपंने के पश्चात जो समय व्यतीत हो गया हो, उसे अवकाश में सम्मिलित कर लिया जाना चाहिए जब तक कि लिया गया अवकाश चिकित्सा प्रमाण पत्र अवकाश न हो। चिकित्सा प्रमाण पत्र पर अवकाश की दशा में इस प्रकार व्यतीत हुए समय को कार्यभार ग्रहण काल अथवा उसका भाग माना जाना चाहिए। सहायक नियम 179
छुटिटयों का कार्यभार ग्रहण काल के साथ संयुक्तीकरण
- कार्यभार ग्रहण काल समाप्त होने के तुरन्त पश्चात पडने वाली छुटिटयों अथवा रविवार को कार्यभार ग्रहण काल के साथ संयुक्त करने की अनुमति स्थानान्तरण करने हेतु सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रदान की जा सकती हैं. सहायक नियम 38
- कार्यभार ग्रहण काल के भीतर कार्यभार ग्रहण न करने पर वेतन पाने का अधिकार नहीं
- कोई सरकारी कर्मचारी जो कार्यभार ग्रहण काल के भीतर अपने पद पर कार्यभार ग्रहण नहीं करता, वह कार्यभार ग्रहण काल की समाप्ति पर किसी भी वेतन या अवकाश वेतन पाने का अधिकारी नहीं रह जाता ।
- कार्यभार ग्रहण काल की समाप्ति के पश्चात् डयूटी से जानबूझकर अनुपस्थिति को मूल नियम 15 के प्रयोजनार्थ दुर्व्यवहार समझा जाना चाहिए।
- विशेष परिस्थितियों में विभागाध्यक्ष 30 दिन तक का कार्यभार ग्रहण काल स्वीकृत कर सकता हैं
- अनुमन्य समय से अधिक समय यात्रा में वास्तव में व्यतीत किया हो
- स्टीमर छूट गया हो।
- यात्रा में बीमार पड गया हो। सहायक नियम 184
- तीस दिन से अधिक कार्यभार ग्रहण काल के लिए शासन की स्वीकृति आवश्यक हैं। सहायक नियम 183
- यदि सक्षम अधिकारी चाहे तो जनहित में कार्यभार ग्रहण काल को कम कर सकता हैं। पैरा 1032 (2) शासकीय नियम संग्रह
- वेतन जो स्थानान्तरण न होने पर वह पाता अथवा वह वेतन जो नये पद का कार्यभार ग्रहण करने पर उसको प्राप्त होगा, इन दोनों में कम हो। सहायक नियम 107 (ख)
- अवकाश से लौटने पर नये पद का कार्यभार ग्रहण करने पर अनुमन्य होने वाला कार्यभार ग्रहण काल का वेतन
- जब वह अन्य अवकाश के क्रम में लिए गये चौदह दिन से अनधिक असाधारण अवकाश के अतिरिक्त लिये गये असाधारण अवकाश से लौटा हो तो किसी भी भुगतान का अधिकारी नहीं होगा।
- यदि वह किसी अन्य प्रकार के अवकाश से लौटा हो तो वह उस अवकाश वेतन का अधिकारी होगा जो अवकाश वेतन के भुगतान के लिए निर्धारित दर पर अवकाश में उसने अन्तिम बार पाया हो। सहायक नियम 107 (ख)
- एक लिपिक वर्ग कर्मचारी स्थानान्तरण होने पर कार्यभार ग्रहण-काल में कुछ भी पाने का अधिकारी नहीं होगा जब तक कि उसका स्थानान्तरण जनहित में न किया गया हो। सहायक नियम 107 का अपवाद
अन्य प्रतिकर भत्तों का भुगतान
- कार्यभार ग्रहणकाल में कोई प्रतिकर भत्त तभी देय होता हैं जबकि वह पुराने व नये दोनों पदों पर सरकारी सेवक को अनुमन्य होता हैं।
- यदि वह भत्ता दोनों पदों पर समान दर पर भुगतान किया जाता हैं तो कार्यभार ग्रहण काल के लिए उसका भुगतान उसी दर पर किया जायेगा।
- जहां इन दो पदों पर सम्बद्ध भत्तों की दरों में भिन्नता हो तो प्रतिकर भत्ते का भुगतान निम्न दर पर किया जायेगा।